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कविवर नयसुन्दर की एक अज्ञात रचना
अन्त-संवत् सोलसि उगोणसठई आसाढवदी छठी।।
वाचक नयसुदरई प्रभु गायु, नेमिनाथ मन तुठूठी रे ॥३०१॥ कलश-जय जगत्रवंदन शिवानंदन नेमिनाथ निरंजनो
नोराग रंग तरंग सागर मदन महामड गंजनो । बुध भानुमेरु विनेयलेशइ, थुण्यु राइमईवरो ।
कवि कहई नयसुन्दर निरंतर हुयो देव दयापरो ॥३०२।। कवि नयसुन्दर के बड़े गुरुभाई माणिक्यरत्न और स्वयं कवि उपाध्याय पद से विभूषित थे । कवि की रचनाओं में शत्रुजय तीर्थोद्धार रास और गिरनार उद्धार रास में ऐतिहासिक विवरण भी मिलता है । कवि की बड़ी रचना नलदमयन्ती चौपाई ३५०० लोक परिमित हैं । इसका दूसरा नाम नागयणचरित्र भी है । आनन्द काव्य महोदधि मौक्तिक ६ में यह प्रकाशित हो चुकी है । इसमें १६ प्रस्ताव है । और ग्रन्थाग्र ४५३६ है । प्रश. स्ति भी ऐतिहासिक है । रूपचन्द कुँवररास और सुरसुन्दर रास भो कवि की सुन्दर रचनाएँ हैं । प्रभावती रास की संवत् १६५३ की लिखी हुई प्रति लिमडी भंडार में है । कवि नयसुन्दर के संबंध में अहमदाबाद के डा• वाडीलाल चौक्सी ने अभी अभी एक विस्तृत निबन्ध 'कवि नयसुन्दर एक अध्ययन' के नाम से तैयार किया है । वह शीघ्र ही प्रकाशित होने वाला है। उसमें यशोधर चौपाई की प्रथम रचना संवत् १६१८ की मानने के कारण कवि के जन्म, दोषा और मृत्यु संवत् दिये हैं वे उस रचना को संवत् १६७८ को मान लेने पर गलत सिद्ध हो जाते है । कवि का काव्य काल ४१ वर्षों का होने से कवि ने और भी बहुत सी छोटी-मोटी कृतियाँ रची होंगी । उनकी खोज की जानी जरूरी है ।
अन्त में कवि की समस्त रचनाओं का एक संग्रह ग्रन्थ आलोचनात्मक अध्ययन के साथ किसी संस्था द्वारा प्रकाशित किये जाने का अनुरोध करता हूँ। कम से कम अप्रकाशित रचनाओं का संग्रह तो निकल ही जाना चाहिये ।
कवि को सारस्वत की रूपरत्नमाला टीका की प्रशस्ति भी प्रकाशित की जानी जरूरी है । कवि की दूसरी संस्कृत रचना बृहद पोषादिक पटावली यद्यपि मुनि जिनविजयजी ने अपने संपादित विविध गच्छीय पटावली संग्रह में छपा दी थी, पर वह ग्रन्थ प्रकाशित नहीं हो पाया । भारतीय विद्या भवन बंबई में इसके छपे हुए फर्मे पड़े होंगे । अतः प्रयत्नपूर्वक इस ग्रन्थ को प्रकाशित करवा देना चाहिये। इस पटावली का गुजराती सारांश श्रीमोहनलाल देशाई ने जैन गुर्जर कवियों भाग २ और ३ में प्रकाशित कर दिया हैं । कवि के रचित गिरनार उद्धार रास को भी देशाई ने संशोधन करके प्रस्तावना सहित प्रकाशित करवा दिया था । डा. वाडीलाल चौक्सी ने 'मध्यकालीन गुजराती जैन धाग' नामक उपयोगी ग्रन्थ प्रकाशित करने के बाद 'सुप्रसिद्ध भावक कवि रिषभदास एक अध्ययन' नामक ग्रन्थ प्रकाशित करवाया है । और अब उनका कवि नयसुन्दर एक अध्ययन नामक ग्रन्थ शीघ्र ही प्रकाशित होने जा रहा है । डा. चौक्सी का यह प्रयत्न बहुत ही सराहनीय हैं । बंबई के डा. रमणलाल शाह ने कविवर समयसुन्दर पर एक अध्ययनपूर्ण ग्रन्थ प्रकाशित करवाया है। कवि समयसुन्दर व अन्य गुजरात राजस्थान के जैन कवियों पर कई शोध प्रबन्ध लिखे जा चुके हैं। इन प्रबन्धों का प्रचार व अध्ययन अधिकाधिक किया जाय ।
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