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भारतीय विचारधारा और जैन दृष्टि
__ जैन धर्म के इस विचार का प्रभाव सम्पूर्ण भारतीय जन-जीवन पर प्रभूत मात्रा में पाया जाता है । इसीलिए भारतीय शान्त प्रकृति के माने जाते हैं । इनमें भी जैन तो और भी शान्त कहलाते हैं। जैन प्रधान प्रदेश भी अन्य प्रदेशों की अपेक्षा शान्त दीखते हैं। इसका विश्लेषण करने पर लगता है कि इस शान्तिपन एवं दूसरे के विचारों के कद्र का कारण सम्भवतः जैन विचार ही हैं जिसके कारण दूसरे के विचारों को एक दृष्टि से सम्भव मानकर उपशान्त जीवन का मार्ग अपनाया जा सकता है और यह भारत में स्वभावतः विद्यमान है। इस स्वभाव के बनने में जैन विचारकों के विचार प्रमुख रूप से कारण माने जाते हैं। गांधी जी ने इन्हीं विचारों से प्रभावित होकर देश की स्वाधीनता की अनूठी लड़ाई लड़ी। आज देश में जो धर्मनिरपेक्षता, स्वतन्त्रता एवं समानता का विचार पनप रहा है वह सम्भवतः प्राचीन दार्शनिक विचारों तथा आधुनिक परिस्थितियों के बीच जैन दर्शन के अनेकान्तवाद से निसृत सरणी के कारण ही है ।
तुलनात्मक धर्म-दर्शन विभाग, सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय,
वाराणसी, उत्तर प्रदेश ।
परिसंवाद-४
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