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अमिश्र पाउअकव्वं पढिउं सोउं अ जे ण आणंति । कामस्स तत्तत्ति कुणंति ते कहं ण लज्जति ॥
-गाहाकोसु । सयलाओ इमं वाया विसंति एतो य ऐति वायाओ। एंति समुर्छ चिय ऐति सायराओ च्चिय जलाई ॥
-गउडवहो।
परिसंवाद-४
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