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राजस्थान जैन सभा
चाकसू का मंदिर, जौहरी बाजार, जयपुर-302 003 राजस्थान जैन सभा समाज से विनम्र अपील करती है कि निम्नांकित बिन्दुओं का दृढ़ता से पालन कर समाज की एकता का परिचय दें
जीमन में कम से कम व्यंजन परोसे जावें, परन्तु सब मिलाकर कुल व्यंजन बीस से अधिक न हों। इसके अन्तर्गत निम्न 10 बातों का ध्यान रखना जरूरी है(अ) व्यंजनों की संख्या में जल को नहीं जोड़ा जायेगा। (ब) सलाद की वस्तुएँ, ककड़ी, मिर्च, टमाटर, नींबूआदि को एक ही माना जायेगा।
मूंग, मोठ, चना आदि इन्हें अलग-अलग माना जायेगा। प्रत्येक किस्म के आचार को अलग-अलग माना जायेगा। मीठी चटनी व हरी चटनी को दो आइटम माना जायेगा।
तवे की सब्जी के अन्तर्गत तवे पर जितने प्रकार की सब्जी होगी, उन्हें उतनी ही मानी जायेंगी। (ल) यदि कई फलों के अलग-अलग ज्यूस बनाये गये हैं तो उन्हें अलग-अलग ही माना जायेगा। (व) ठंडाई-शरबत आदि को अलग-अलग माना जायेगा। (श) रोटियाँ/पूड़ियाँ जितनी भी प्रकार की बनाई जायेंगी, उन्हें अलग-अलग आईटम माना जायेगा।
(ह) माबे की या बंगाली अथवा आगरे के पेठे से निर्मित सभी मिठाईयाँ अलग-अलग मानी जायेंगी। 2. निमंत्रण-पत्र मितव्ययी हो और उन पर सूर्यास्त के बाद भोजन की व्यवस्था नहीं है'
अंकित किया जाना चाहिए। 3. निकासीव फेरे दिन में ही आयोजित किए जाने चाहिए। 4. मांगलिक एवं सामाजिक समारोहों के अवसर पर आयोजित भोज दिन में ही आयोजित किए जाने चाहिए। 5. मृत्युभोज नहीं किया जावेतथा घड़ों के अवसर पर बर्तन आदि वितरण नहीं किये जावें। 6. सगाई-विवाहादि कार्यक्रम सादगी से संपन्न हों तथा सजावट में मितव्ययता बरती जावे। 7. दहेज की प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष न तो माँग करें और न ही विवाह के अवसर पर प्राप्त वस्तुओं का प्रदर्शन करें। 8. निकासी के अवसर पर ट्विस्ट नहीं करें। 9. व्रत व उपवास के उद्यापन पर एवं जिनेन्द्र भगवान की माल के पश्चात् बर्तन आदि वस्तुओं का वितरण नहीं करें और न
हीस्वीकार करें। 10. हिंसक सौंदर्य प्रसाधनों का प्रयोग नहीं करें। 11. परस्पर अभिवादन में जय जिनेन्द्र बोलें। 12. डाक अथवा कोरियर से प्राप्त निमंत्रण पत्र को मान्यता देदें। 13. कीड़ों से निर्मितरेशमी वस्त्रों का त्याग करें।
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