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________________ सन्देश हमें प्रसन्नता है कि राजस्थान जैन सभा पूर्व वर्षों की भाँति इस वर्ष भी भगवान महावीर की २६०६वीं जन्म जयन्ती पर महावीर जयन्ती स्मारिका' का प्रकाशन कर रही है। यह और भी प्रसन्नता की बात है कि महावीर जयन्ती स्मारिका का 31 मार्च, 2007 को प्रकाशित होने वाला अंक ४४वाँ अंक होगा। लम्बे समय से बहुत ही सुन्दर कलेवर में उपयोगी सामग्री के साथ ‘महावीर जयन्ती स्मारिका' का प्रकाशन एक बड़ी उपलब्धि है। इस अवसर पर राजस्थान जैन सभा के सभी पदाधिकारी एवं कार्यकर्ताओं को जैन समाज की ओर से साधुवाद प्रस्तुत है। श्रमण संस्कृति परंपरा के चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर ने ऐसे समय पर सत्य और अहिंसा का बिगुल बजाया था जब भारत जैसे देश में ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में इसकी अत्यन्त आवश्यकता थी। अहिंसा, अनेकान्त और अपरिग्रह आज भी विश्व के हर प्राणी के लिए मौलिक सिद्धान्त हैं। जिस देश ने और जिस समाज ने इन सिद्धान्तों को हृदय से अपनाया है, उसकी निरन्तर प्रगति हुई है। देश के विभिन्न भागों में पद विहार करते हुए दिगम्बर जैन आचार्य एवं संतगण निरन्तर धर्म प्रभावना कर रहे हैं। लगभग सभी तीर्थ क्षेत्रों में आगन्तुक यात्रियों की सुख-सुविधाओं को दृष्टि में रखते हुए विकास कार्य भी किए जा रहे हैं। गत वर्ष भगवान बाहुबली की श्रवणबेलगोला में 1025 वर्षों से खड़ी 57 फुट उतुंग प्रतिमा का 12 वर्षों के उपरान्त सम्पन्न हुआ महा-मस्तकाभिषेक और जनवरी, 2008 में मध्यप्रदेश में बड़वानी में भगवान आदिनाथ की 84 फुट उतुंग प्रतिमा का महामस्तकाभिषेक पूरे समाज को एक मंच पर लाने वाले कार्यक्रम हैं। देश के दिगम्बर जैन समाज ने ऐसे समारोहों का भरपूर लाभ उठाया है। जहाँ कतिपय राजनेताओं द्वारा एक ओर जैन धर्म के स्वतंत्र अस्तित्व पर ही प्रश्न चिह्न लगाये जा रहे हैं, वहीं कुछ तीर्थों को लेकर विवाद विभिन्न न्यायालयों में लम्बे अर्से से लम्बित हैं। ऐसे में जैन एकता की जितनी आवश्यकता आज महसूस की जा रही है, उतनी सम्भवतः पिछले वर्षों में नहीं थी। यदि वर्ष 2007 को जैन समाज की एकता के वर्ष के रूप में मनाया जा सके तो निश्चित ही भगवान महावीर की जन्म जयन्ती हमारे लिए सुखद संदेश देने वाली सिद्ध होगी। भगवान आदिनाथ से भगवान महावीर तक श्रमण संस्कृति परंपरा के महापुरुषों द्वारा दिये गये सिद्धान्त हम सभी आत्मसात कर सकें और अपने जीवन को दिन-प्रतिदिन बेहतर बना सकें, इसी मंगल कामना के साथ 'महावीर जयन्ती स्मारिका' के प्रकाशन के अवसर पर राजस्थान जैन सभा परिवार को हार्दिक शुभ कामनाएँ। - नरेश कुमार सेठी, अध्यक्ष - भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी महावीर जयन्ती स्मारिका 2007 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014025
Book TitleMahavira Jayanti Smarika 2007
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Polyaka
PublisherRajasthan Jain Sabha Jaipur
Publication Year2007
Total Pages312
LanguageHindi
ClassificationSeminar & Articles
File Size11 MB
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