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वासो कुण्ड नगरियाँ हो रामा
इहवाँ भइले महावीर जनवाँ हो रामा । ११. बौना पोखर में दो फुट अवगाहना की गुप्त कालीन श्यामवर्णीय अतिशयकारी अति मनोज्ञ भगवान महावीर की प्रतिमा अन्य वैष्णव प्रतिमाओं के साथ प्राप्त हुई जिसे स्थानीय लोगों की भावनानुसार वहीं जैन मंदिर बना कर स्थापित करदी । इस मंदिर से ही प्रतिवर्ष महावीर की जन्म-जयंति की शोभा यात्रा अजैन बन्धुओं द्वारा प्रारम्भ कर वासो कुण्ड तक जाती है।
राजबहादुर,
१२. देश के प्रतिष्ठा प्राप्त राजनेता, दार्शनिक, इतिहासज्ञ, विधिवेत्ता न्यायाधिपति, सरस्वति पुत्र और धर्माचार्य सभी ने धर्म-जाति का भेद भुला कर वैशाली वासोकुण्ड के महावीर को अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किये। इनमें प्रमुखतम हैं - सर्वश्री देशरत्न डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जी, डॉ.राधा कुमुद मुखर्जी, डॉ. कृष्णसिंह, डॉ. के. एम. मुशी, डॉ. कैलाश नाथ काटजू, डॉ. हीरालाल जैन, आर. आर. दिवाकर, डॉ. जाकिर हुसैन, डॉ. सम्पूर्णानन्द, पं. विनोदानन्द झा, डॉ. हजारी प्रसाद द्विवेदी, मद्भूषि अनन्त शयनम् आयंगर, विजयेन्द्रसूरि, आचार्य तुलसी (दो बार ), कृष्णवल्लभ सहाय, विद्या चरण शुक्ल, डॉ. कर्णसिंह, दरोगा प्रसाद राय, देवकान्त बरुआ, आर. डी. भण्डारे (दो बार ), डॉ. प्रतापचन्द्र चन्द्र, न्यायमूर्ति भुवनेश्वर प्रसाद सिंह, न्यायमूर्ति कृष्ण वल्लभ नारायण सिंह, सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन, डॉ. सुविमल चन्द्र सरकार, डॉ. ए.आर. किदवई (५बार), डॉ. जगन्नाथ मिश्र, विन्देश्वरी दुवे (दो बार), डॉ. शंकर दयाल शर्मा, भागवत झा आजाद, राजीव गांधी, जगन्नाथ पहाडिया, लालू प्रसाद यादव,(कई बार ), मोहम्मदशफी कुरैशी, फिल्म अभिनेता सुनीलदत्त, बैजयन्ती माला, , जैनाचार्य भरत सागार जी, आनन्द सागर जी मौन प्रिय, डॉ. योगेद्र मिश्र, जे. सी. माथुर अन्य अनेकों केन्द्रीयप्रांतीय मंत्रीगण अधिकारी आदि । अभी दि. १०/ २।०४ को विद्यमान प्रधान मंत्री अटल विहारी वाजपेयीजी ने वैशाली रेलवे स्टेशन का शिलान्यास
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किया। महावीर की जन्म भूमि और भारतीय गणतंत्र की पुरोद्या वैशाली का आकर्षण सभी को वहाँ खींच लाती है। महावीर का सिद्धान्त अहिंसा अविरोध और हितों की रक्षा ही हमारी देश नीति का केन्द्र बिन्दु है ।
१३. सर्व श्री नागेन्द्र सिंह, भूतपूर्व विधायक महावीर की वैज्ञानिकता और आदर्श के गीत लिखते हैं। श्री अमीर नाथ मिश्र मधुवन ने अपनी साहित्यिक प्रतिभा महावीर को समर्पित की है। वे गीत लिखते हैं और जनता को प्रेरित करते हैं । ज्ञी अनिल कुमार सिंह वासोकुण्ड (महावीर वंशज) वर्द्धमान महावीर शिशु विद्यालय - स्वचालित में छात्रों को महावीर की शिक्षा देते हैं। बुद्धटोला के निवासी शाकाहारी एवं अस्तेय व्रतधारी हैं। विदेशी पर्यटक वासोकुण्ड स्थित महावीर हैं। वहाँ की रज सिर पर लगाते हैं और पीपल के पत्ते जन्मभूमि स्मारक पर जाकर अपनी श्रद्धा अर्पित करते स्मृति स्वरूप ले जाते हैं। भगवान महावरी स्मारक का अनावरण देशरत्न बाबू डॉ. राजेन्द्र प्रसादजी ने दि. २३/ ४/१९५६ को किया था । अपने वैशाली अभिनन्दन ग्रंथ की भूमिका लिख कर उसको गौरवान्वित किया था। एक ब्राह्मण महानुभाव जैन गृहस्थाचार का अभ्यास खोज अपेक्षित है। कर रहे हैं। और भी अनेक विधाएँ हैं जिनकी सम्यक्
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१४. अविरोध संयम धार्मिक सहिष्णुता और सौहार्द वैशाली की विशिष्टता और शालीन संस्कृति है । बौद्ध स्तूप पर एक समाधि है जहाँ मजार पर हिन्दू मंदिर से चादर चढ़ती है। खुदाई में एक कब्रिस्तान मिला, जिसकी तीस डेसीमल भूमि महादेव मंदिर के निर्माण हेतु दान में दी गयी । सत् - सत्य को प्रधानता दी जाती है।
१५. वासोकुण्ड - वैशाली के निवासी यह जानते हैं कि पटना - हाजीपुर के मध्य चार मील चौडा गंगा नदी का घाट पार करना कठिन और जोखिम भरा होने के कारण जैन धर्मावलम्बी पावापुरी से राजगृही आतेजाते समय नालंदा के निकट बड़गाँव में स्थित महावीर मंदिर को कुण्डलपुर प्रतीकात्मक मानकर वहीं से महावीर जयन्ती स्मारिका 2007-4/21
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