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अनेकान्तवाद और नेतृत्व
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युगलों का एक साथ रहना पदार्थ का स्वभाव है विभाव नहीं तो वह भिन्न-भिन्न विचार वाले व्यक्तियों को भी एक डोर में बांधे रख सकता है, यह सह-अस्तित्व अहिंसा के विकास बिना कहाँ, संभव है। अहिंसक दृष्टि के विकास में अनेकान्त का विशेष योगदान है क्योंकि अनेकान्त यह प्रशिक्षण देता है कि विरोध विचारों में है, अस्तित्व में नहीं, तथा सब अपनी सीमा में रहें, दूसरे की सीमा में न जाएं, स्वयं की सीमा का अतिक्रमण न करें।
अत: अनेकान्त भेद में अभेद, अनेकता में एकता तथा विरोध में अविरोध के दर्शन कराने में सक्षम है। आवश्यक निर्यक्ति का एक प्रसंग है कि राजा ने आदेश दिया कि मेमने को पूरा भोजन दिया जाए पर वजन न बढ़ने पाए। व्यक्ति चिन्तित और तनावग्रस्त हो गया कि दो विरोधी बातें एक साथ कैसे संभव है पर पुत्र बहुत खले दिमाग का था। उसने समस्या का समाधान कर दिया कि मेमने को सिंह के पिंजरे के पास रख दिया जाय। अनेक दिन बीतने पर भी मेमने का वजन नहीं बढ़ सका। यद्यपि पौष्टिक भोजन और वजन न बढ़ना दोनों विरोधी बातें हैं पर अनेकान्त धरातल पर ऐसा विरोध नहीं जिसका सह अस्तित्व न हो सके। यदि अनुशास्ता अनेकान्त का प्रयोक्ता नहीं तो वह दो विरोधों में तीसरा विरोध पैदा कर देगा या तो दोनों में सामञ्जस्य स्थापित कर देगा। अनुशास्ता को यह समझना भी आवश्यक है कि सहअस्तित्व अनेकान्त का अंग है। पर अनेकान्त में भी अनेकान्त है - धार्मिकता और चरित्रहीनता का सह अस्तित्व या सहावस्थान नहीं हो सकता। आत्मौपम्य वृत्ति
_आत्मौपम्य का तात्पर्य यह नहीं है कि सबको समान बना दिया जाय। इसका अर्थ है - सबमें आत्मा के अस्तित्व की गहरी अनुभूति करना, सहानुभूति रखना, दूसरे की पीड़ा का संवेदन स्वयं करना। जब अनुशास्ता में यह अहिंसक वृत्ति विकसित होगी तो संगठन एक कुटुम्ब बन जाता है फिर वहां कलह, वैमनस्य, संघर्ष एवं वैचारिक हिंसा की चिंगारियां प्रज्लवित नहीं होती।
किसी भी संगठन को आत्मौपम्य की विशाल भावना से बांधा जा सकता है। संघहित में व्यक्तिगत हित को गौण करना अनुशास्ता की सफलता की प्रथम कसौटी है, जिसकी प्राप्ति अनेकान्त की उदार दृष्टि से ही संभव है। क्योंकि अनेकान्त स्वत्व का विस्तार करता है वहां अपना और पराया यह भेद रेखा नहीं होती। यदि नेता स्वयं को समष्टि रूप नहीं बना पाता तो वह श्रद्धापात्र नहीं बन सकता। संभावनाओं का स्वीकरण
अनेकान्त यह दृष्टि प्रदान करता है कि वर्तमान पर्याय के आधार पर किसी
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