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Multi-dimensional Application of Anekāntaväda
निरुपयोगी हैं।
वास्तव में सभी पद्धतियों का मूलकेन्द्र-मानव है, सब का मूल उद्देश्य-मानव शरीर को आरोग्य दिलाना है, अत: पूर्ण स्वास्थ्य के लिए सारी पद्धतियों की सहायता लेने को ‘होलिस्टिक विधान' (Holistic Approach) आजकल स्वीकृत है जो अनेकान्तवाद से ही उद्भूत है।
हम अनेकांतवाद के प्रकाश में विश्लेषण करें तो सभी चिकित्सा पद्धतियों में जो सत्य है उसको स्वीकार करना होगा। अर्थशास्त्र व वाणिज्य क्षेत्र में अनेकान्तवाद
अर्थशास्त्र एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ मानव के लिए धन व संपदा के बारे में विचार विमर्श किया जाता है। इस क्षेत्र में पूँजीवाद और साम्यवाद - ये दो प्रमुखवाद हैं- जो सारी दुनियां को दो भागों में बाँट चुके हैं।
पूँजीवाद के समर्थकों का कहना है कि संसार की भौतिक एवं वैज्ञानिक उन्नति का प्रधान श्रेय पूँजीवाद को ही है । पूँजीवाद विज्ञान के अविष्कारों को करोड़ोंअरबों रुपये लगाकर व्यापारिक रूप न दे तो आज इक्कीसवीं सदी में संसार जिस स्थिति में प्रवेश करने जा रहा है वह कदापि न होता। पूँजीवाद की व्यवस्था मानव जाति की उन्नति की दिशा में असाधारण भूमिका निभायी है।
परंतु पूँजीवाद के विरुद्ध लोगों में अब असुरक्षा की भावना उत्पन्न हुई है कि वह गरीबों का शोषण करके, उन्हें गरीब बनाकर अपनी संपत्ति व अमीरी को बढ़ावा दे रहा है। मजदूरों और किसानों ने मिलकर पूँजीवाद का विरोध शुरू किया।
इस विरोध को देखकर अब पूँजीवाद भी बदल रहा है। उद्योगों में न्यूनतम वेतन, कार्य की अच्छी सुविधाएँ, लाभांश का एक अंश बोनस के रूप में प्रदान कर तथा उदारतापूर्ण कार्यों के द्वारा परिवर्तन कर रहा है
साम्यवाद का जन्म यूरोप में हुआ। कार्ल मार्क्स ने 'दास कैपिटल' नामक ग्रंथ लिखकर, पूँजीवाद का भंडाफोड़ किया तथा कहा- “संसार के मजदूरों! एक हो जाओ और पूँजीवाद का जुआ उतार कर फेंक दो।”
साम्यवाद को व्यवहार में लाने का काम सब से पहले एशिया में लेनिन ने किया । संसार भर को साम्यवाद की ओर ले जाने का सपना देखने लगे परंतु आज सोवियत रूस का विघटन हो चुका है।
__ भारत के महान नेता महात्मा गांधी ने दिखाया कि न पूँजीवाद से, न साम्यवाद से, बल्कि सर्वोदयवाद से दुनियाँ का उद्धार हो सकता है- वास्तव में यह
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