________________ RECI1219110) 4 // इस वैशाली के आँगन में प्रिसिपल मनोरंजन प्रसाद सिंह, एम० ए० / किस अतीत गौरव की गाथा कवि। तू गाने आया है ? किसे युग की तू करुण कहानी हमें सुनाने आया है ? क्यों विस्मृत घटनाओं की फिर याद दिलाने आया है ? क्यों सदियों की सुर वेदना पुनः जगाने आया है ? रहने दे ये मूक व्यथाएँ सारी अपने ही मन में / मत कह, क्या क्या हुआ यहाँ इस वैशाली के आंगन में // सुना, किसी दिन यहीं लिच्छवि शासन था गौरवशाली। सुना, कभी थी उन्नति के उस उच्च शिखर पर वैशाली // जब जग में पी राजतन्त्र को घटा घिरी काली काली ; तब भी इस प्राचीन भूमि में प्रजातन्त्र की थी लाली / लेकिन है क्या लाभ मला अब इस अतीत के चिन्तन में ? मत कह, क्या क्या हुआ यहाँ इस वैशाली के आंगन में //