________________ - प्रजातन्त्री वैशाली प्रो० सूरजदेव नारपण, एम० ए०, बी० एल० / प्रो० हरिरंजन घोषाल, एम० ए०, बी० एल०, डी० लिट्० प्राचीन लिच्छवियों की शासन-प्रणाली पर विचार करना बिलकुल पिष्टपेषण नहीं होगा, यद्यपि इस विषय पर विद्वानों का ध्यान बहुत दिनों से आकृष्ट रहा है। यह निर्विवाद रूप से ऐतिहासिक सत्य है कि बुद्ध के समय वैशाली का प्रजातन्त्र वज्जि-संघ के आठ सदस्यों में से था। किन्तु अभी तक इस प्रजातन्त्र के उद्गम अथवा इसकी स्थापना के कारण पर स्पष्ट रूप से विचार करने का प्रयत्न नहीं हुआ है। पुराणों तथा कतिपय अन्य ग्रन्थों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि ब्राह्मणयुग में मिथिला और वैशाली दोनों में राजतन्त्रशासन' कायम था। वैशालिकवंश का संस्थापक विशाल रामायण द्वारा इक्ष्वाकु का पुत्र और पुराणों द्वारा नामाग का वंशज माना गया है। विष्णुपुराण में नामाग से लेकर 34 राजाओं की वंशावली दी गयी है। सुमति, जिस राजा का नाम सबसे पीछे है, विशाल की दसवीं पीढ़ी में दिखलाया गया है और यदि रामायण के प्रमाण पर विश्वास किया जाय तो वह अयोध्या के राजा दशरथ का समकालीन था। श्रीपाजिटर इक्ष्वाकु के साथ विशाल का सम्बन्ध अस्वीकार करने के पक्ष में हैं, किन्तु उनका कहना है कि वैशालिक राजाओं को सूचियां जो कई ग्रन्थों में उपलब्ध हैं, करीब-करीब मिलती-जुलती हैं" / सुमति के बाद पुराणों 1. देखिये 0 एच० सी० राय चौधरी का पोलिटिकल हिस्टरी ऑव ऍशियण्ट इण्डिया, . 1075 2. पाजिटर, ऐशियग्ट इण्डियन हिस्टोरिकल ट्रेडिशन, 50 57 / 3. देखिये श्यामनारायण सिंह का हिस्टरी ऑव तिरहुत, पृ० 21 और वी० रंगाचार्य प्री-मुसलमान इण्डिया, पृ० 424-32 / 4. पाजिटर, उल्लिखित, प० 97 / . 5. वही। .