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"सब छोड़ कुटुम्ब परिवार अथिरसंसार मोह का नाता"
८ नवम्बर, १९५२ बाराबंकी ब्र. कु, मैना के साथ उनके पारिवारिकजन बाएं से दाएं है-कु, मनोवती (वर्तमान में आर्यिका श्री अभयमती जी), दो वर्षीय भाई रवीन्द्र जैन, माँ मोहिनी गोद में कन्या मालती को लिए हुए, पिता छोटेलाल जी, कु. शांती देवी, कु, श्रीमती, कु. कुमुदनी, प्रकाशचंद एवं सुभाष चंद जैन।
HIMINA
सन् १९६९ श्री महावीरजी क्षेत्र पर श्री अभयमती माताजी की आर्यिका दीक्षा के पश्चात् पूर्व परिवार के मध्य बीचोंबीच विराजमान हैं—पूज्य आर्यिका श्री ज्ञानमती माताजी एवं अभयमती माताजी उनके आजू-बाजू हैं-पिता श्री छोटेलाल जी एवं माता मोहिनी जी। पीछे पंक्ति में बाएं से दाएं हैं-सौ. कुमुदनी जैन (बहन), कु, मालती (बहन), श्री कैलाशचंद जी (भाई), जम्बकुमार (भतीजा), सौ. चंदारानी (भाभी) दोनों माताओं के बीच में है बालिका अंजू (भतीजी), किनारे खड़ा है बालक संजय (भानजा)।
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