SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 801
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ "सुदर्शनमेरु पंचकल्याणक की कुछ झलकियाँ" अप्रैल, मई १९७९ सुदर्शनमेरु पंचकल्याणक प्रतिष्ठा के अवसर पर परम पूज्य आचार्यकल्प श्री श्रेयांससागर महाराज अपना आशीर्वाद प्रदान कर रहे हैं। पूज्य गणिनी आर्यिका श्री ज्ञानमती माताजी के साथ आचार्यकल्प श्री श्रेयांससागर जी महाराज की संघस्थ आर्यिका श्री अरहमती माताजी एवं आर्यिका श्री श्रेयांसमती माताजी। पश्चिमी उत्तरप्रदेश में प्रथम बार गजरथ महामहोत्सव सन् १९७९ पंचकल्याणक महोत्सव के पश्चात् हस्तिनापुर में निकाला गया। प्रतिष्ठा के सौधर्म इन्द्र श्री हरखचंद जी सरावगी सुमेरु पर्वत पर जन्माभिषेक के लिए श्रीजी को ले जाते हुए। उनके आजू-बाजू हैं श्री विजेन्द्र कुमार जैन, दिल्ली एवं श्री जिनेन्द्र प्रसाद जैन ठेकेदार, दिल्ली। सुमेरु पर्वत की पंचकल्याणक प्रतिष्ठा के समय पूजन कर रहे इन्द्र-इन्द्राणी। मंडल के दाईं ओर खड़े हैं प्रतिष्ठा के सौधर्म इन्द्र श्री हरकचंद जी, सरावगी, सपत्नीक-कलकत्ता एवं उनकी पुत्र वधुएं । बाईं ओर खडणे हैं श्री नागरमल जी जैन कलकत्ता सपत्नीक एवं श्री मदनलाल जी चाँदवाड़-सपत्नीक, रामगंज मंडी। Jain Educationa international For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012075
Book TitleAryikaratna Gyanmati Abhivandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Jain
PublisherDigambar Jain Trilok Shodh Sansthan
Publication Year1992
Total Pages822
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size26 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy