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________________ ६६० ] विस्तार अर्थात् चौड़ाई नीचे १०० योजन मध्य में ७५ तथा ऊपर ५० योजन है। प्रथम सिद्धकूट में जिनमंदिर तथा शेष ८ कूटों में देव देवियों के भवन हैं। ४- नील पर्वत- नील पर्वत का समस्त प्रमाण निषेध पर्वत के समान है। यह पर्वत वैडूर्यमणि के समान वर्ण वाला है। इस पर्वत पर सिद्ध. नील, पूर्वविदेह, सीता, कीर्ति, नरकान्ता, अपरविदेह, रम्यक और अपदर्शन ये ९ कूट है। कूटों को ऊँचाई १०० योजन है। नौहाई मूल अनी १०० योजन मध्य में ७५ योजन एवं ऊपर ५० योजन विस्तृत है। इसमें सिद्धकूट पर जिनमंदिर एवं शेष ८ कूटों पर देव देवियों के भवन हैं। ५- रुक्मि पर्वत- इस पर्वत का समस्त प्रमाण महाहिमवान के समान है। इसका वर्ण चांदी के सदृश है। इस पर्वत पर सिद्धकूट, रुक्मिकूट, रम्यक् नारी, बुद्धि, रूप्यकूला, हैरण्यवत् और मणिकांचन ये ८ कूट हैं। प्रथम कूट में जिनमंदिर तथा शेष कूटों पर देव-देवियों के भवन बने हुए हैं। इन कूटों की ऊँचाई ५० योजन है। चौड़ाई मूल में ५० योजन ऊपर २५ योजन है। ६ शिखरी पर्वत इस पर्वत का प्रमाण हिमवान पर्वत के समान है। इसका वर्ण सुवर्ण सदृश है तथा इस पर कूट ११ १ सिटकूट शिखरो - - रसदेवी, रक्ता, लक्ष्मी, सुवर्ण, रक्तवती, गंधवती, ऐरावत और मणिकांचन इसमें प्रथम कूट पर जिनमंदिर तथा शेष कूटों पर देव देवियों के भवन बने हुए हैं। इन कूटों की ऊँचाई २५ योजन है। चौड़ाई नीचे २५ योजन तथा ऊपर 122 योजन है। विशेष- ये सभी पर्वत ऊपर एवं नीचे समान विस्तार वाले है एवं इनके पार्श्वभाग चित्र-विचित्र मणियों से निर्मित है। प्रश्न- जम्बूद्वीप में ६ सरोवर आपने बताये हैं इनका विस्तार आदि कितना है? उत्तर - सरोवरों का वर्णन निम्न प्रकार से है १- पद्म सरोवर- यह सरोवर हिमवान पर्वत के मध्य में है। यह ५०० योजन चौड़ा है इसमें एक योजन का १ कमल है। इस कमल के १०११ पत्र हैं। इसकी नाल ४२ कोश ऊँची १ कोश मोटी है। यह वैडूर्यमणि की है। इसका मृणाल ३ कोश मोटा रूप्यमयश्वेत वर्ण का है। इसका नाल ४२ कोश अर्थात् 10 योजन प्रमाण है अतः १० योजन नाल जल में है और २ कोश जल के ऊपर है। कमल की कर्णिका २ कोश ऊँची और १ कोश चौड़ी है। इस कर्णिका के ऊपर श्रीदेवी का भवन बना हुआ है। यह भवन १ कोश लम्बा, 1⁄2 कोश चौड़ा और कोश ऊँचा है। इस भवन में श्रीदेवी निवास करती है इसकी आयु १ पल्य प्रमाण है। श्रीदेवी के परिवार कमल- श्रीदेवी के परिवार कमलों की संख्या १ लाख ४० हजार ११५ (१४०११५) है कमल भी इसी सरोवर में हैं। इन परिवार कमलों की नाल १० योजन प्रमाण है। अर्थात् इनकी नाल जल से २ कोश ऊपर नहीं है, जल के बराबर है। इन कमलों का विस्तार आदि मुख्य कमल से आधा-आधा है। इनमें रहने वाले परिवार देवों के भवनों का प्रमाण भी श्रीदेवी के भवन से आधा है। २- महापद्म सरोवर यह सरोवर महाहिमवान पर्वत पर है। इसकी चौड़ाई १०० योजन, लम्बाई २००० योजन और गहराई २० योजन है। इसके मध्य में मुख्य कमल का विस्तार २ योजन है। इसकी कर्णिका २ कोश की है इसमें ह्री देवी का भवन है। भवन २ कोश लम्बा, [1] कोश ऊँचा १ कोश चौड़ा है इस पर ही देवी निवास करती है। इसकी आयु १. पल्य प्रमाण है। इसके परिवार कमलों की संख्या २ लाख ८० हजार २०३ (२८०२०३) है। इन परिवार कमलों का एवं इनके भवनों का प्रमाण मुख्य कमल से आधा-आधा है। - वीर ज्ञानोदय ग्रंथमाला - ३- तिगिंछ सरोवर:- यह सरोवर निषध पर्वत के मध्य में है। यह २००० योजन चौड़ा, ४००० योजन लम्बा एवं ४० योजन गहरा है। इस सरोवर के मध्य में मुख्य कमल ४ योजन विस्तृत है। इसकी कर्णिका ४ कोश की है। इस पर धृति देवी का भवन बना हुआ है। जिसकी लम्बाई ४ कोश, चौड़ाई २ कोश एवं ऊंचाई ३ कोश है। इसमें धृति देवी निवास करती है इसकी आयु १ पल्य है। इसके परिवार कमलों की संख्या ५ लाख ६० हजार ४६० (५६०४६०) है। इन परिवार कमलों का प्रमाण एवं इन पर भवनों का विस्तार आदि मुख्य कमल से आधा-आधा है। 1 ४- केसरी सरोवर:- इस सरोवर का सार वर्णन प्रमाण-संख्या आदि तिगिंछ सरोवर के सदृश है। अन्तर इतना ही है कि यहां बुद्धि नाम की देवी निवास करती है। Jain Educationa International ५- महापुण्डरीक सरोवर: इस सरोवर का सारा वर्णन महापद्म के सदृश है। अंतर इतना ही है कि इसमें कीर्ति देवी निवास करती है। ६- पुण्डरीक सरोवर- इस सरोवर का सारा वर्णन पद्मसरोवर के सदृश है। यहां लक्ष्मी नाम की देवी रहती है। विशेष - सरोवर के चारों ओर वेदिका से वेष्टित वनखण्ड हैं वे योजन चौड़े हैं सरोवर के कमल पृथ्वी कायिक हैं वनस्पतिकायिक नहीं हैं फिर भी इनमें बहुत ही उत्तम सुगन्धि आती है। ये क्षेत्र जम्बूद्वीप में कहां-कहां हैं तथा इनका प्रमाण कितना-कितना है ? जिनमंदिर- इन सरोवरों में जितने कमल कहे हैं वे महाकमल हैं इनके अतिरिक्त क्षुद्र कमलों की संख्या बहुत है। इन सब कमलों के भवन में एक-एक जिनमंदिर है इसलिए जितने कमल हैं उतने ही जिनमंदिर हैं। प्रश्न- आपने कुलाचल एवं सरोवर के साथ ही ७ क्षेत्र बताये थे-सात क्षेत्रों को जानने की आपने इच्छा व्यक्त की है। प्रत्येक का है। यह १ लाख योजन विस्तृत है इसके १९०वां भाग अर्थात् 526 भरतक्षेत्र के छह खण्ड भरतक्षेत्र के मध्य में विजयार्थ पर्वत एवं गंगा-सिन्धु नदियों के निमित्त से भरतक्षेत्र के ६ खन्ड हो गये हैं। इसमें ५ म्लेच्छ उत्तर वर्णन क्रम-२ से किया जा रहा है। मध्यलोक के सर्वप्रथम द्वीप का नाम जम्बूद्वीप 6 -योजन प्रमाण भरतक्षेत्र है। इस भरतक्षेत्र के ६ खण्ड हैं। 19 For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012075
Book TitleAryikaratna Gyanmati Abhivandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Jain
PublisherDigambar Jain Trilok Shodh Sansthan
Publication Year1992
Total Pages822
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size26 MB
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