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________________ वीर ज्ञानोदय ग्रन्थमाला [६५३ तिल 10 ॐ45esulturarimanch मैनपुरी में ज्ञानज्योति स्वागत सभा के मंच पर आसीन विद्युत मंत्री जी एवं स्थानीय कार्यकर्ता हरियाणा के फिरोजपुर झिरका नगर में ज्ञानज्योति स्वागत सभा में श्री ताराचंद जी प्रेमी। स लपि amavside at: जम्न होप जानत्यादि २८ अप्रैल, १९८५ को हस्तिनापुर तीर्थक्षेत्र पर ज्ञानज्योति का मंगल पदार्पण एवं हस्तिनापुर में ज्ञानज्योति की अखण्ड स्थापना करते हुए रक्षामंत्री श्री पी.वी. नरसिंहाराव प्रवर्तन समापन/पूज्य माताजी आदि। साथ में हैं श्री जे.के. जैन, सांसद। जम्बूद्वीप ज्ञानज्योति का स्वागत बारम्बार -आशुकवि कल्याण कुमार 'शशि' रामपुर (रामपुर मथुरा में पठित) इंदिराजी के कर कमलों से इसका हुआ प्रवर्तन पूज्य आर्यिका ज्ञानमती का इसे प्राप्त पथ दर्शन, यह भारत के विविध प्रान्त का करके भ्रमण चिरंतन अब उत्तर प्रदेश में इसका हुआ पुनीत पदार्पण, सबसे बड़े प्रान्त में सबसे, बड़ा करें सत्कार । यू.पी. भर में ज्ञानज्योति का स्वागत शत-शत बार ॥ फहर रहा है धर्मकेतु सर्वत्र ज्योति के द्वारा, शून्य थलों तक हो आई यह जैन धर्म की धारा, धर्म, अहिंसा विश्वप्रेम का पथ इसने विस्तारा बिना धर्म के सुगम नहीं है संकट से छुटकारा, यह प्रकाश की शिखा, ज्ञान की सक्रिय भागीदार । ऐसे आयोजन अपनी महिमा के पहरेदार ॥ ज्ञानज्योति के बढ़ते पग को आओ और बढ़ाएं, इसका शानदार स्वागत कर, अक्षय पुण्य कमाएं, Jain Educationa international For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012075
Book TitleAryikaratna Gyanmati Abhivandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Jain
PublisherDigambar Jain Trilok Shodh Sansthan
Publication Year1992
Total Pages822
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size26 MB
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