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________________ केशरियाजी में राजस्थान प्रान्तीय प्रवर्तन का समापन २० दिसम्बर, १९८२ को जम्बूद्वीप शनज्योति राजस्थान प्रवर्तन के अन्तिम चरण में महान् तीर्थ केशरियानाथ पहुँच गई, जहाँ समापन समारोह उल्लासपूर्वक वातावरण में मनाया गया । स्वागत सभा का आयोजन गुरुकुल के प्रांगण में किया गया, जहाँ मुख्य अतिथि के रूप में राजस्थान सरकार के मंत्री श्री हीरालालजी देवपुरिया पधारे मंत्री महोदय ने देश की प्रधानमंत्री द्वारा उद्घाटित शनज्योति का हार्दिक सम्मान करते हुए ज्योतिरथ पर पुष्पांजलि समर्पित की तथा अपने ओजस्वी भाषण के द्वारा जनमानस को संबोधित किया। वीर ज्ञानोदय ग्रन्थमाला सम्पूर्ण प्रांत का सम्मान जब ज्ञानज्योति राजस्थान से विदा ले रही थी, तब भगवान आदिनाथ की छत्रछाया में एक बार पुनः सम्पूर्ण राजस्थान का भक्तसमूह एकत्रित हुआ था । मानो वे अपनी प्रिय ज्योति से बिछुड़ना ही नहीं चाहते थे। सदा-सदा के लिए अपना राजस्थान अनमोल ज्ञान की ज्योति से प्रकाशित कर देने का सुखद संकल्प वहाँ के निवासियों ने ले लिया था। इसीलिए छह मास की दीर्घ अवधि तक ज्ञानज्योति प्रवर्तन का सौभाग्य राजस्थानवासियों को प्राप्त हुआ। आज के इस समापन अवसर पर पूरे राजस्थान प्रान्त में जिन्होंने पाँच हजार से अधिक राशि की बोलियां लेकर जम्बूद्वीप ज्ञानज्योति को सहयोग प्रदान किया था, उन सभी लोगों को केन्द्रीय प्रवर्तन समिति की ओर से प्रशस्ति पत्र भेंट कर सम्मानित किया गया। जो महानुभाव उस समय उपस्थित न हो सके थे, उनको भी अप्रत्यक्ष रूप से सम्मानित कर प्रशस्ति-पत्र उनके यहाँ भेज दिये गए। इसी के साथ ज्ञानज्योति के संचालक पं. बाबूलाल जमादार का तथा अनन्य सहयोगी श्री धर्मचंदजी मोदी, श्री शांतिलाल बड़जात्या आदि कतिपय विशिष्ट सहयोगियों के प्रति भी सम्मान प्रदर्शित किया गया। उपर्युक्त तीनों महानुभावों ने अपने-अपने विचार व्यक्त करके ज्ञानज्योति की महिमा का सबको दिग्दर्शन कराया। जयपुर (राज.) में आचार्यरत्न श्री देशभूषण जी महाराज ज्योतिरथ के कार्यकर्ताओं को आशीर्वाद प्रदान करते हुए। -- [५७१ विशाल जुलूसपूर्वक सम्पन्नता सभा के पश्चात् एक विशाल जुलूस भी निकाला गया। हजारों जैन तथा जैनेतर बंधुओं ने जुलूस में शामिल होकर ज्ञानज्योति का भव्य स्वागत किया। इस समारोह में केशरियानाथजी के अतिरिक्त राजस्थान प्रांत के अनेक महानुभाव तथा केन्द्रांचल दिल्ली से ब्र. मोतीचंद जैन के साथ मोतीचंद कासलीवाल जौहरी, सुरेशचंद गोटेवाले, विजय लुहाड़िया, हेमचंद जैन महानुभाव भी उपस्थित हुए, जिनका राजस्थान प्रवर्तन समिति की ओर से सम्मान किया गया। Jain Educationa International केशरिया जी में राजस्थान प्रान्तीय ज्ञानज्योति प्रवर्तन के समापन पर राजस्थान के मंत्री देवपुरिया का स्वागत करते हुए श्री शांतिलाल जी बड़जात्या, अजमेर। भगवान आदिनाथ की जय-जयकारों के साथ राजस्थान का प्रवर्तन यहीं पर सम्पन्न हुआ। एक प्रदेश में निर्विघ्न प्रवर्तन समापनपूर्वक विजय प्राप्ति हेतु सभी ने प्रजापति ऋषभदेव के चरणों में नमन कर स्व-स्व स्थान के लिए प्रस्थान किया । वरदहस्त श्री गुरू का पाया राजस्थान के विभिन्न नगरों में दिगम्बर जैन संतों एवं आर्थिकाओं के सानिध्य प्राप्त हुए, जिनमें से कतिपय नाम प्रस्तुत हैं - For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012075
Book TitleAryikaratna Gyanmati Abhivandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Jain
PublisherDigambar Jain Trilok Shodh Sansthan
Publication Year1992
Total Pages822
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size26 MB
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