________________
"अस्वस्थ अवस्था में भी दृढ़ रत्नत्रय साधना"
इनकी मंद मुस्कान बतलाती है कि आत्मा तो अस्वस्थ नहीं है।
इनकी दृढ़ आस्था है कि शरीर से सदैव काम लेते रहो।
केशलोंच करती हुई माताजी।
चिन्तन अवस्था में पूज्य माताजी।
Jain Educationa international
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org