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रत्नों की खान आर्यिका श्री रत्नमती माताजी।
जनवरी, १९८५ में समाधिरत आर्यिका श्री रत्नमती जी को संबोधित करती हुई श्री ज्ञानमती माताजी एवं दर्शनार्थ महमूदाबाद से पधारे श्री रत्नमती जी के गृहस्थाश्रम के लघु भ्राता श्री भगवानदास जैन।
सल्लेखनारत माताजी को श्री ज्ञानमती माताजी ज्ञानामृतपान करा रही हैं और वे बिल्कुल सजग होकर श्रवण कर रही हैं।
१६ जनवरी, १९८५ पूज्य श्री रत्नमती माताजी की पवित्र चिता के समक्ष श्रद्धांजलि अर्पण हेतु पधारे श्री जे.के. जैन एवं अनेक भक्तगण।
चिता पर स्थापित आर्यिका श्री रत्नमती माताजी का पार्थिव शरीर ।
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