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गणिनी आर्यिकारत्न श्री ज्ञानमती अभिवन्दन ग्रन्थ
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शिक्षक की दृष्टि से आपने न केवल शिक्षण शिविरों के आयोजन कराकर शिक्षण दिया है, बल्कि अपने परिवार तथा समाज को आत्मोन्मुख किया है। पूज्या अभयमती माताजी, पूज्या चन्दनामती माताजी, पू० रत्नमती माताजी भी आपकी प्रेरणा से आर्यिका जैसे उच्च पद पर आसीन हुई तथा मोतीचंदजी जैसे विद्वान् व्यक्ति भी आपसे प्रभावित होकर क्षुल्लक दीक्षा लेकर आपके ही सानिध्य में त्याग की ओर उन्मुख हैं। धर्म-प्रभावना की दृष्टि से जम्बूद्वीप विश्व का आठवाँ आश्चर्य स्थापित कर दिया, जिससे विश्व में जैन धर्म की प्रभावना में चार चाँद लग गये, जो भी इस जम्बूद्वीप क्षेत्र में आ जाता है तथा. सुमेरु पर्वत व कमल मन्दिर का दर्शन कर लेता है, उसकी पुनः पुनः दर्शन करने की इच्छा बनी रहती है।
मुझको भी आचार्य प्रवर शिवसागरजी महाराज के सीकर चातुर्मास से लेकर आज तक बराबर आपके सानिध्य में रहने का, दर्शन का तथा आहारादि देने का मौका मिलता रहा है, इसी प्रकार आपका आशीर्वाद मिलता रहे यही मेरी हार्दिक कामना है तथा प्रभु से प्रार्थना है कि आप शतायु हों और इसी प्रकार धर्म प्रभावना करती रहें।
अगाध ज्ञान से परिपूर्ण
- चौधरी सुमेरमल जैन भू०पू० महामंत्री भा०दि० जैन महासभा, अजमेर
पूज्या आर्यिका रत्न ज्ञानमती माताजी के दर्शनों का सौभाग्य बहुत वर्ष पहिले उनके अजमेर चातुर्मास के समय में हुआ था। तदनन्तर एक बार मुझे हस्तिनापुर में भी यह सौभाग्य प्राप्त हुआ। पूज्या आर्यिकारत्न माताजी अत्यन्त विदुषी हैं। अच्छे-अच्छे विद्वानों को भी उन्होंने अगाध ज्ञान से परास्त किया है। हर एक गूढ़ विषय को सरल भाषा में समझाने की उन्हें परम अनुभूति है। वे वास्तव में आर्यिकारत्न ही हैं।
अजमेर प्रवास में उन्होंने मुझे कुछ नियम दिये थे, जो मैं अभी तक निभा रहा हूँ। ऐसी विदुषी आर्यिकारत्न माताजी समाज की ज्ञान वृद्धि और कल्याण करते हुए चिरायु रहें, यही मेरी विनयाञ्जलि है।
उनकी सेवा में मेरा शत-शत वन्दन ।
विनयांजलि
-कपूरचंद बड़जात्या, अध्यक्ष : दि० जैन पंचायत, फुलेरा [राज०]
फुलेरा में १०८ आचार्य वीरसागरजी महाराज के सानिध्य में यहीं पर वि०सं० २००८ की पंचकल्याणक प्रतिष्ठा व संघ का चौमासा भी हुआ था व यहीं पर ही १०८ धर्मसागरजी महाराज की मुनि दीक्षा भी हुई थी। फुलेरा मन्दिर गेज लाईन का सबसे बड़ा जंक्शन है। पू० गणिनी १०५ आर्यिकारत्न श्री ज्ञानमती माताजी के चरणों में फुलेरा पंचायत की तरफ से विनयाञ्जलि समर्पित करते हैं और प्रार्थना करते हैं कि माताजी से हम सभी को हमेशा आशीर्वाद प्राप्त होता रहे।
माताजी का ऋणी जैन समाज
- प्रद्युमन कुमार अमरचन्द्र जैन, टिकैतनगर
पूज्या माताजी ने बीसवीं शताब्दी में जो महान् ग्रंथों का व बड़े-बड़े विधानों का हिन्दी में अनुवाद व रचना करके जो कीर्तिमान स्थापित किया है, वह हमेशा-हमेशा के लिए स्मरणीय रहेगा एवं जैन समाज पूज्या माताजी का हमेशा-हमेशा ऋणी रहेगा। पूज्य माताजी दिगम्बर जैन आम्नाय की अमूल्य निधि हैं। जिन्होंने दि० जैन आनाय में पूर्वाचार्यों द्वारा कहे गये तथ्यों को अपनी रचना में सप्रमाण सिद्ध कर दिया है। ऐसी विदुषी गणिनी आर्यिकारत्न श्री ज्ञानमती माताजी को हमारा शत-शत अभिनन्दन है एवं हम सपरिवार पूज्य माताजी के दीर्घायु होने की कामना करते हैं, जिससे हम सभी को बराबर धर्म लाभ मिलता रहे।
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