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शुभाशीष/श्रद्धांजलि
साहित्य मनीषी की कीर्ति स्मृतियाँ अद्वितीय विद्वान
पं. स्वरूप चंद जैन
शाहपुर (मगरोन), सागर म.प्र. श्रद्धेय पूज्य पंडित जी का व्यक्तित्व, सामर्थ्य और ज्ञान की गूढता एवं त्याग अद्वितीय था। उनकी सरलता कोमलता, ज्ञान गहनता, हमेशा को मन में अंकित हो गई। उनका आचार्यो संतो के प्रति हार्दिक सम्मान भाव था। जिसका आज भी स्मरण आता है । पूज्य पंडित जी निश्चित ही त्याग मूर्ति, ज्ञानी अध्यात्म में गहरे पैठे थे और जीवन के अंत तक यह उत्तम भाव उनमें रहे । पंडित जी हमेशा धार्मिक अध्यापन एवं अध्ययन में लगे रहे एवं वर्णी दिगम्बर जैन संस्कृत महाविद्यालय की जीवन भर सेवा करते रहे एवं समाज के हित में सोचते रहते थे। मेरी पंडित जी को विनम्र श्रद्धांजलि यही है। कि उनके मार्ग पर चलने की प्रेरणा ले । भगवान वीर प्रभु से यही प्रार्थना करते है कि स्वर्गीय आत्मा को शांति लाभ हो । भगवान ऐसे सत्पुरुषों को श्रेष्ठ मानव की संज्ञा देते हैं । उनको हमारा साधुवाद और श्रद्धा सुमन समर्पित है।
पंडित जी निश्चय व्यवहार मैत्री का पाठ पढ़ाते
____महाकवि योगेन्द्र दिवाकर
सतना म.प्र. साहित्य मनीषी स्व. डॉ. पं. दयाचंद जी साहित्याचार्य की कीर्ति स्मृतियाँ उनके जीवन दर्शन से आरंभ होती है जो निश्चय व्यवहार मैत्री का पाठ पढ़ाते हुए हमारे आदर्श गुरुवर थे। विश्व कल्याण और आत्मकल्याण का यह पाठ हमें सन्मार्ग देता है। सन्मार्गी आदरणीय पंडित दयाचंद जी वर्णी भवन मोराजी के ज्योति स्तंभ थे, जिन्होंने वर्णी जी के और सागर संस्कृत महा विद्यालय मोराजी के नाम को ऊँचा किया है, हम ऐसे महापुरुष पर क्या लिखे ? अल्प शब्दों में - निश्चय व्यवहार मैत्री का पाठ पढ़ाने वाले और कालातीत श्रुतसत्य हमें समझाने वाले, उस रूप में लौटकर न आयेंगे जिस रूप में वे यहाँ से गये हैं
"इसलिए उनकी स्मृति को प्रणाम । हम आत्मिक होंगे उनके समान ॥"
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