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शुभाशीष/श्रद्धांजलि
साहित्य मनीषी की कीर्ति स्मृतियाँ मेरे ऊपर कुछ अधिक ही रहता था। मेरी गुरु भक्ति से एवं मेरी योग्यता से प्रभावित हो आपने मुझे बनारस की प्रथमा परीक्षा में सीधे बैठने की अनुमति प्रदान कर कृतार्थ किया, मैं परीक्षा में सफल हो गया। अब मेरी जिज्ञासा बाहर जाकर अध्ययन करने की हुई । आर्थिक स्थिति ठीक न होने से मैं इच्छानुसार अध्ययन नहीं कर सका, फिर भी मैंने आयुर्वेद परीक्षा पास कर ली। आपका आशीर्वाद मुझे सदा ही आगे प्रगति करने का मिलता रहा है, आपने मेरे जीवन को कृतार्थ किया, यह स्मरण सदा सदा के लिए मुझे बना ही रहेगा। आपके उपकार को स्मरण करते हुए मैं पंडित जी के प्रति विनयांजलि समर्पित करता हूँ कि वह उपकारी महान आत्मा जहाँ भी हो, आगे मोक्ष मार्ग पर बढ़ती रहे, यही मेरी शुभकामना है।
शुभकामना संदेश
पं.कैलाशचंद जैन
अग्रवाल कालोनी जबलपुर म.प्र. स्व. पं. दयाचंद साहित्याचार्य प्राचार्य श्री गणेश प्रसाद जी वर्णी दिगम्बर जैन संस्कृत महाविद्यालय वर्णी भवन सागर के स्मृति ग्रंथ के प्रकाशन के अवसर पर पंडित जी द्वारा जिनवाणी की सेवा कर जैन समाज को ज्ञान का प्रकाश दिया गया है। वह अद्वितीय है। ऐसे मनीषी प्रतिभा के धनी विद्वतरत्न का स्मृति ग्रंथ प्रकाशित कर समस्त जैन समाज को गौरव का अनुभव हो रहा है।
मैं पंडित जी की सद्गति के लिए अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ एवं उनके द्वारा जिनवाणी की सेवा के लिए स्मरणीय मानता हूँ।
पुन: उनके दिवंगत व्यक्तित्व को नमन करता हूँ।
सरल स्वभावी सहयोगी विद्वान
पं. विजय कुमार जैन
श्री वर्णी भवन मोराजी, सागर (म.प्र.) परम आदरणीय श्री डॉ. पं. दयाचंद जी साहित्याचार्य जी से मेरा सम्पर्क मेरी नियुक्ति के समय ही हुआ था। उन्होंने मेरी नियुक्ति कराने में पूर्ण सहयोग दिया। मैं उनका यह उपकार कभी भी नहीं भूल सकता। उनका स्वभाव बहुत अधिक सरल था। ऐसे स्वभाव वाले व्यक्ति बहुत कम हुआ करते हैं। मेरे
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