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दिवंगत विद्वानों के जीवन परिचय
सेवायश की कीर्ति पताका सदैव फहराती रहेंगी। वे यश रूपी शरीर से आज भी जीवित हैं ।
"सादा जीवन उच्च विचार" वाली कहावत पं. पुष्पेन्दु जी के जीवन में अक्षरश: साबित होती है । पं. पुष्पेन्दु का व्यक्तित्व एवं कृतित्व बहुआयामी था । वे भारतीय जैनागम के आदर्श सेवक थे। उनके महानगुणों को पूर्णरूपेण दर्शाना सूर्य को रोशनी दिखाने के समान है तथापि विद्वत संगोष्ठी के निमित्त जो कुछ बन सका, लिखने का प्रयास किया। मैं उनके महानगुणों के प्रति नतमस्तक हूँ। उनके जीवन से हम यही शिक्षा ग्रहण करें तो सारे मतभेद अपने आप समाप्त हो जाते है ।
"व्यवहारों में जो सोता है, निश्चय में वह जागता । स्थिर हो जाना अभेद में, कला भेद- विज्ञान की ॥ " समसामयिक विषयों के उदीयमान लेखक
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साहित्य मनीषी की कीर्ति स्मृतियाँ
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