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दिवंगत विद्वानों के जीवन परिचय
साहित्य मनीषी की कीर्ति स्मृतियाँ 2. भानुकुमार के दो सुपुत्री व दो पुत्र है। 3. राजेन्द्र कुमार के चार पुत्री व एक पुत्र है।
सभी गृहस्थ जीवन व्यतीत कर रहे हैं, धर्म साधना के साथ ही जीवन व्यतीत कर रहे हैं। राजेन्द्र कुमार प्रतिभाधारी हैं। सभी धर्म से संस्कारित है।
सन् 1990 जून में धरमचन्द्र जी को ब्रेनहेमरेज हो जाने से 72 वर्ष की उम्र में स्वर्गवास हो गया था तथा इनकी पत्नि की समाधि भी 2 नवम्बर 2004 में समता पूर्वक सबको पास बुलाकर सब त्याग कर दिया और मंत्र पढ़ते हुये प्राणों का विसर्जन किया।
बीसवीं शदी दिवंगत आशुकवि स्व. पं. फूलचंद जी जैन “पुष्पेन्दु" (खुरई)
सेठ मोतीलाल जैन
पंत, नगर सागर रत्न प्रसविती भारत वसुंधरा में उसकी सस्य श्यामला, मलयज शीतला, कोड़ में अनेक रत्न तो प्रसूत हुये हैं तथा हो रहे हैं, लेकिन इस वसुंधरा की कोड़ में अनेक सारस्वत रत्न प्रसूत हुये हैं जिन्होंने अपनी विद्वतारूपी प्रभा से ज्ञानालोक प्रसरित किया है। भारतवर्ष की हृदयस्थली में स्थित बुंदेलखण्ड'अपनी प्राकृतिक गरिमा तथा सांस्कृतिक गरिमा से गौरवमंडित रहा है। छत्रसाल जैसे सूरमाओं ने अपनी विजय पताका फहराई।
इस 'बुंदेली माटी' के अनेक लाल आज भी अपनी लालिमा से भाषित होकर तमिसा को खंडित कर रहे हैं इसी शृंखला में बुंदेली माटी के गौरव, नर-रत्न बहुसंख्य विद्वत शिरोमणि इसी वसुंधरा की देन है।
__ सफल आशुकवि, करूणा की साक्षात मूर्ति, भारतीय संस्कृति तथा जिनवाणी के आदर्श सेवक, आदर्श अध्यापक सफल मंच संचालक स्व. पं. संचालक फूलचंद जी पुष्पेन्दु का जन्म खुरई जिला सागर म.प्र. में तत्कालीन सफल वैद्य व्रती बालचंद्र जी जैन के प्रथम पुत्र के रूप में हुआ था। आपके पिताजी देवशास्त्र गुरु के सच्चे भक्त थे। माताजी आदर्श भारतीय विचारों की कुशल गृहणी थी। पं. फूलचंद जी पुष्पेन्द्र के छोटे भाई पं. वैद्यराज श्री बाबूलाल जी जैन एक सफल समाज सुधारक तथा संगठक हैं। विद्वत् परिषद् से इनका घनिष्ठ संबंध रहा है कुशल वैद्य तथा धर्मप्रचारक हैं। कृतित्व
अपारे खलु संसारे कविरेव प्रजापति: यथास्मै रोचंते विश्वं तदैव परिवर्तते ।
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