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शुभाशीष / श्रद्धांजलि
कसौटी पर खरे : पंडित दयाचंद साहित्याचार्य जी
डॉ. ज्योति जैन
डिग्री कालेज, खतौली (उ.प्र.)
धर्म एवं संस्कृति के विकास में जैन विद्वानों का अभूतपूर्व योगदान रहा है। विद्वानों में एक ओर तो देव शास्त्र गुरु के प्रति श्रद्धा भक्ति और समर्पण की भावना रहती है, दूसरी और कुरीतियों, अंधविश्वासों का विरोध करने की क्षमता भी होती है। विद्वान ही समाज में धार्मिक एवं नैतिक संस्कारों को पुनरूज्जीवित करते रहते है इस कसौटी पर खरे उतरे पंडित दयाचंद शास्त्री ने अपना समस्त जीवन धर्म प्रचार एवं शिक्षा के लिए समर्पित कर दिया था आपके निर्देशन, सूझबूझ, लगन और निष्ठा से जहाँ संस्था प्रभावित हुई वहीं जीवन की कर्मठता भी उजागर हुई। पंडित जी सा. एक विनम्र विद्वान होने के साथ साथ दिखावटी प्रचार प्रसार से दूर रहे तथा अपनी सात्त्विक वृत्ति सरल - मधुरवाणी आदि गुणों को समेटे जैनधर्म के सिद्धांतों को सदैव प्रचारित प्रसारित करते रहे, मोराजी में एक लंबे समय तक कार्यरत रहे और संस्था के उत्थान के प्रति लगनशील रहे। आपकी दीर्घ सेवा गहन साधना और समर्पण के आगे हम सभी नतमस्तक है समाज सदैव आपका ऋणी रहेगा ।
सहज स्वभाव,
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आगम निष्ठ आदर्श मनीषी
साहित्य मनीषी की कीर्ति स्मृतियाँ
अनूप चंद्रजैन एडव्होकेट फिरोजाबाद (उ.प्र.)
श्रद्धेय डॉ. दयाचंद जी साहित्याचार्य आर्षमार्गी, तलस्पर्शी मनीषी विद्वान थे। अपने लेखन चिंतन और प्रवचन से उन्होंने जिनवाणी की सेवा, आराधना और उपासना की तथा जैनधर्म और दर्शन प्रचार प्रसार में आजीवन समर्पित रहे । गलत सिद्धांतों से उन्होंने कभी समझौता नहीं किया। वे एक श्रेष्ठ श्रावक, समाज सेवी भी थे। तीर्थो के संरक्षण, सम्वर्धन और जीर्णोद्धार तथा उनकी उचित व्यवस्था
भी वे बड़ी निष्ठा से जुड़े रहे। उनके निधन से पुरानी पीढ़ी के स्तंभ विद्वानों की एक कड़ी हिली है। टूटी है आज आवश्यकता है कि उनके ज्ञान और आचरण का अनुकरण हो श्रद्धेय पं. जी की मधुर स्मृतियों को संजोकर रखने में यह स्मृति ग्रंथ एक मील का पत्थर साबित होगा जिसे आधार बनाकर आधुनिक विद्वान अपने को भी उन आदर्शो के प्रति समर्पित कर सकेंगे। मेरी विनम्र श्रद्धा और नमन ।
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