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शुभाशीष/श्रद्धांजलि
साहित्य मनीषी की कीर्ति स्मृतियाँ - बहुमुखी सरस्वती पुत्र
प्रोफेसर बिमल कुमार जैन
सागर पूज्य डॉ. पं. दयाचंद जी साहित्याचार्य का स्मृतिग्रंथ प्रकाशित हो रहा है यह जानकर परम प्रसन्नता हुई। पंडित जी का प्रारंभिक जीवन अत्यंत कठिन था, किन परिस्थितियों में उनकी प्रारंभिक शिक्षा हुई यह सभी को ज्ञात है । आपने एम.ए. सिद्धांत शास्त्री की परीक्षाएँ उत्तीर्ण की। 1990 में डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर से “जैन पूजा काव्य " विषय पर आपको पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त हुई। आपका स्वभाव अत्यंत सरल था । आपके सानिध्य में सैकड़ों छात्रों ने शिक्षा प्राप्त की और आज देश के विभिन्न क्षेत्रों मे जैन धर्म का प्रचार - प्रसार कर रहे हैं। मैंने यद्यपि पंडित जी से शिक्षा प्राप्त नहीं की परन्तु उनका सानिध्य एवं सम्पर्क मुझे समय - समय पर मिलता रहा और अंत समय तक मुझे उनका मार्गदर्शन एवं आशीर्वाद प्राप्त होता रहा।
पंडित जी समाज के एक प्रमुख विद्वान थे। किसी विद्वान ने लिखा है “विद्वान समाज के मुख होते हैं वे देव शास्त्र एवं गुरु के सच्चे स्वरूप के प्रतिपादन में निपुण होते है।" उनके इन्हीं गुणों के कारण कहा जाता है कि “विद्वान सर्वत्र पूज्यते'। पंडित जी महान धर्म प्रभावक एवं वात्सल्य की प्रतिमूर्ति थे। पंडित जी को अपने जीवन में अनेकों पुरस्कार एवं सम्मान प्राप्त हुए । पंडित जी द्वारा लिखित एवं संपादित ग्रंथों की संख्या यद्यपि कम है फिर भी जो ग्रंथ पंडित जी द्वारा लिखे गए उनमें उनकी कुशल लेखन क्षमता स्पष्ट दृष्टिगोचर होती है। पंडित जी इस युग के एक महान विचारक, चिंतक, लेखक एवं धर्म के मर्मज्ञ विद्वान थे। उनकी पावन स्मृति को चिरस्थायी बनाने के लिए "साहित्य मनीषी की कीर्ति स्मृतियाँ" स्मृति ग्रंथ प्रकाशित हो रहा है। मैं पंडित जी के चरणों में अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हुआ शत् शत् नमन करता हूँ।
बधाई, शुभ कामनाएँ और नमन
__ प्रो. हीरालाल जैन पाण्डे' हीरक' शास्त्री
धन्ना हीराचंद्रा भवन, लखेरापुरा, भोपाल मैं "डॉ.पं. दयाचंद साहित्याचार्य स्मृति ग्रंथ प्रकाशन समिति" को बधाई एवं शुभ कामनाएँ प्रेषित कर स्तुत्य कार्य की भूरी भूरी प्रशंसा करता हूँ।
"डॉ. पं. दयाचंद साहित्याचार्य के विषय में स्मृति ग्रंथ का प्रकाशन" उनकी विद्वत्ता, साहित्य सेवा, समाज सेवा तथा "श्री गणेश दि.जैन संस्कृत महाविद्यालय" की उदात्त अध्यापन और संचालन सेवाओं का कृतज्ञ मूल्यांकन एवं श्रद्धा सुमनांजलि है।
वे मेरे अध्ययन काल में उच्च कक्षा के छात्र थे। वे वर्णी गुरुकुल के मेधावी आदर्श छात्र थे। वे मेरे अग्रजतुल्य थे अत: दिवंगत मनीषी को मेरा सादर नमन ।
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