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शुभाशीष/श्रद्धांजलि
साहित्य मनीषी की कीर्ति स्मृतियाँ अद्वितीय प्रतिभा के धनी
प्रो. धीरेन्द्र पाल सिंह, कुलपति
डॉ.हरीसिंह गौर वि.वि.सागर मुझे यह जानकर हार्दिक प्रसन्नता हुई कि श्री गणेश दिगम्बर जैन संस्कृत महाविद्यालय वर्णी
भवन,सागर (म.प्र.) अपने सेवानिवृत प्राचार्य स्व. डॉ. पं. दयाचंद जी जैन की पुण्य स्मृति में "साहित्य मनीषी की कीर्ति स्मृतियां" नाम से स्मृति ग्रन्थ का प्रकाशन श्री दिगम्बर जैन पंचायत सभा, सागर (म.प्र.) के सहयोग से करने जा रहा है । व्यक्ति के परलोक गमन के पश्चात् स्मृतियां ही शेष रहती हैं। उन स्मृतियों को सहेजकर रखना और उनसे प्रेरणा ग्रहण करना एक पुण्य कर्म है । व्यक्ति का कर्म ही उसे स्मृतियों में जीवित रखता है। मुझे ज्ञात हुआ है कि प्राचार्य पं. दयाचंद जी जैन
संस्कृत के मनीषी पंडित के साथ-साथ सहृदय अध्यापक थे। उनका समस्त जीवन अध्ययन अध्यापन में व्यतीत हुआ। उनके द्वारा लिखा गया सद्साहित्य समाजोपयोगी है। मैं महाविद्यालय परिवार को साधुवाद देता हूं कि उन्होंने अपने पूर्ववर्ती प्राचार्य की स्मृतियों को अक्षुण्य बनाये रखने के लिए स्मृति ग्रन्थ के प्रकाशन का संकल्प लिया । स्मृति ग्रन्थ स्व. डॉ. पं. दयाचंद जी जैन के कृतित्व एवं व्यक्तित्व से समाज को परिचित करायेगा, ऐसी मैं कामना करता हूं।
शुभकामनाओं सहित ।
अद्वितीय प्रतिभा के धनी
विट्ठलभाई पटेल
सागर मुझे यह जानकर प्रसन्नता है कि पू. गणेश प्रसाद वर्णी जी के आशीष से स्थापित संस्कृत महाविद्यालय में डॉ. दयाचंद जी प्राचार्य की स्मृति ग्रंथ का प्रकाशन उनकी विद्वतता और समर्पण का इजहार है, पं. दयाचंद जी राष्ट्रीय स्तर के जैन धर्म के प्रवाचक और देश के वरिष्ठ विद्वान रहे । निस्पृह जीवन जीकर उन्होंने विद्या और विद्यार्थियों की जो सेवा की वह सराहनीय है । मैं दिवंगत आत्मा की शांति और सद्गति की कामना करता हूँ। सम्पादक मंडल एवं दिगंबर जैन
गणेश प्रसाद वर्णी महाविद्यालय के समस्त सदस्यों को इस ग्रंथ के प्रकाशन हेतु बधाई देता हूँ आशा करता हूँ यह स्मृतिग्रंथ सभी वर्ग के लिए प्रेरणादायी होगा । मंगल कामना के साथ
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