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साहित्य मनीषी की कीर्ति स्मृतियाँ 6. अमर भारती भाग तीन 7. चतुर्विंशति संधान (संपादक एवं संशोधक) 8. पंडित मुन्नालाल रांधेलीय स्मृति ग्रन्थ (प्रधान संपादक) * पंडित जी के सेमीनार दशलक्षण पर्व एवं सम्मान संबंधी विवरण
495-500
चतुर्थ खण्ड पूज्य मुनिश्री एवं विद्वत मण्डल के आगम सम्मत लेख पूज्य उपाध्याय श्री निर्भय सागर जी महाराज - आगम में स्वरूपाचरण चारित्र का स्वरूप 501-106 2. मुनिश्री समता सागर जी महाराज - तीर्थंकर महावीर : जीवन और दर्शन
507-09 3. मुनि निर्णय सागर जी महाराज
तीर्थंकर महावीर
510-12 4. मुनि विशुद्ध सागर जी महाराज - राग द्वेष से संसार भ्रमण
513-17 5. मुनि विशुद्ध सागर जी महाराज - भेद विज्ञान से आत्म ज्ञान
518-21 6. पं. विमल कुमार जैन सोरया, टीकमगढ़ - सूरिमंत्र और उसकी महत्ता
522-28 7. पं. अभय कुमार जैन, बीना - "समीक्षा" जैन पूजा काव्य एक चिंतन
529 ४. डॉ. आर.डी. मिश्र, सागर - वर्णी जी एक युग पुरुष
530-32 9. डॉ. कमलेश कुमार जैन, वाराणसी - स्तोत्र साहित्य में गिरिनार
533-36 10. पं. शिवचरण लाल जैन, मैनपुरी - जैन धर्म में मूर्ति पूजा
537-545 11. डॉ. सुरेन्द्र कुमार जैन "भारती", बुरहानपुर . राष्ट्र कल्याण में श्रावक की भूमिका
546-54 12. डॉ. फूलचंद जैन "प्रेमी" वाराणसी
जैन धर्म-दर्शन में सम्यग्ज्ञान : स्वरूप और महत्व 555-62 13. डॉ. कपूरचंद जैन , खतौली
- भगवान महावीर की अहिंसा और पर्यावरण संरक्षण 563-66 14. पं. अमरचंद जैन "शास्त्री" शाहपुर - मनुष्य में सर्व सामर्थ
567-68 15. डॉ. श्रेयांस कुमार जैन, बड़ौत
- श्रमणचर्या का अभिन्न अंग अनियत विहार 569-76 16. डॉ. नरेन्द्र कुमार जैन, गाजियाबाद
सल्लेखना के परिप्रेक्ष्य में भगवती आराधना में - 577-85
वर्णित ज्ञानी और अज्ञानी के तप का स्वरूप 17. पं. सुरेशचंद जैन, बारौलिया, आगरा केरल में जैन स्थापत्य और कला
586-90 18. सुखदेव जैन (इंजी.) मकरोनिया, सागर - एक सुख शान्ति का रास्ता
591-92 19. श्री आनंदकुमार जैन, वाराणसी - सागारधर्मामृत में सल्लेखना
593-603 20. डॉ. आनंद प्रकाश शास्त्री, कलकत्ता - आगम के आलोक में अनुयोग का कथन 604-07 21. डॉ. नेमिचंद जैन, खुरई,जिला-सागर - आगम की दृष्टि में सम्मेद शिखर
608-11 22. पं. गुलाबचंद दर्शनाचार्य , जबलपुर - जैनागम के मूर्धन्य मनीषी आचार्य समंतभद्र का- 612-16
व्यक्तित्व एवं कृतित्व 23. पं. खेमचंद जी "शास्त्री", जबलपुर संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज 617-19
के दर्शन से लोक कल्याणकारी भावना की अनुभूति . 24. पं. शिखरचंद साहित्याचार्य, सागर - अनंत धर्मात्मक वस्तु का अनेकांतवाद 620-28
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