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साहित्य मनीषी की कीर्ति स्मृतियाँ 53. अखलेश कुमार जैन झलोन
- जीवन भर आपका कर्जदार रहूँगा 54. राजकुमार शास्त्री “प्रिंस"जबलपुर - ज्ञान और वात्सल्य के समुन्दर थे पूज्य पंडित जी 55. योगेन्द्र दिवाकर जी, सतना
- सागर के सूर्य की सुखद स्मृति 56. पं. राजेन्द्र कुमार जी ,शाहपुर
- संस्मरण में पंडित जी 57. सुदीप कुमार जैन, सगरा
- मेरे जीवन के प्रकाशक पंडित जी
138-39 140 141 142 142-43
खण्ड-तृतीय
कर्तृत्व डॉ. दयाचंद साहित्याचार्य की लेखनी से निसृत जिन भाषित रहस्य 1. कर्मयुग के प्रवर्तक आदि ब्रह्मा ऋषभ देव
144-51 2. भगवान महावीर द्वारा प्रतिपादित अहिंसा दर्शन
152-71 3. तीर्थंकर भगवान महावीर का जीवन दर्शन
172-83 4. तीर्थंकर महावीर के दर्शन में अपरिग्रहवाद
184-88 5. इतिहास एवं पुरातत्त्व के आलोक में तीर्थंकर महावीर और वैशाली प्रदेश
189-94 6. तीर्थंकर महावीर का समाजवाद
195-96 7. तीर्थंकरत्रय के जीवन का आदर्श
197-200 8. तीर्थंकर परम्परा से प्रवाहित प्राचीन जैन दर्शन में वैज्ञानिक तत्व
201-11 9. महामंत्र णमोकार : एक तात्विक एवं वैज्ञानिक विवेचन
212-22 10. सार्वभौम श्री पर्युषण पर्व का महत्व एवं मूल्यांकन
223-29 11. लोक में श्रमण परम्परा का महत्व एवं उपयोगिता
230-36 12. विश्व तत्त्व प्रकाशक अनेकांतवाद
237-49 13. जैन दर्शन में नय चक्र का वैज्ञानिक अनुसंधान
250-69 14. संयम धर्म का बाह्य उपकरण पिच्छिका एवं पिच्छिका के अनेक विशेष कार्य
270-73 15. शाकाहार और उससे विश्व की सुरक्षा संभव
274-76 16. सम्यक् चारित्र और उसकी उपयोगिता
277-78 17. निमित्त और उपादान कारणद्वय की आवश्यकता
279-85 18. श्रुतपंचमी महापर्व - एक सात्विक चिंतन
286-89 19. धार्मिकता और राष्ट्रीयता में समन्वय
290-302 भारतीय साहि
वं इतिहास के आलोक में कर्नाटक प्रदेश एवं श्रवण वेल्गोल तीर्थ 303-09 21. मार्गणा'
310-24 22. षट्खण्डागम के बंध प्रकरण का सामंजस्य
325-26
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