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कृतित्व / हिन्दी 2. मसि
'अ इ उ आदि ब्राह्मीलिपि, वर्तमान में भारत की राष्ट्रभाषा हिन्दी की नागरीलिपि का लेखन, राज्य कार्य लेखन, शास्त्र लेखन, पत्र तथा विद्याओं का लेखन चित्र तथा प्राकृतिक दृश्यों का लेखन, गणित की राशि एक से परार्ध तक मान, उन्मान, अवमान, प्रतिमान, बीजगणित, रेखा गणित आदि गणित विद्या का लेखन । इसके अतिरिक्त अठारह महालिपियों का लेखन- 1. हंसलिपि 2. भूतलिपि 3. यज्ञलिपि 4. यावनी 5. तुरकी 6. किरी 7. द्राविडी 8. सैन्धवी 9. मालवी 10. नडी 11. नागरी 12. लाटी 13. पारसी 14. अनिमित्ति 15. चाणाकी 16. मौलदेवी 17. राक्षसी 18. उड्डी । अथवा 1. लाटी 2. गौडी 3 डाहली 4. कानड़ी 5. गुजरी 6. सौरहठी 7. मरहठी 8 कौंकणी 9. खुरासानी 10 मागधी 11. सिंहली 12. हाड़ी 13. कड़ी 14. हम्मीरी 15. पारसी 16. मसी 17 मालवी 18. महायोधी अहिंसा वाणी ऋषभ वि० पृ. ८८ । 3. कृषि विज्ञान
• आदि कृषि के साधनों का प्रयोग, क्षेत्र की सुरक्षा, बैल आदि पशुओं का उपयोग, बीज का वपन, अन्न का उत्पादन, इक्षु का उत्पादन, फल, शाक आदि वनस्पतियों का उत्पादन, उद्यानों का निर्माण, कूप तथा जलाशयों का निर्माण, लतागृह इत्यादि ।
4. विद्या (कला) का आविष्कार
साहित्य मनीषी की कीर्ति स्मृतियाँ
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पुरुष की बहत्तर कलाओं का पुरुष समाज में प्रचार एवं प्रसार होने से राष्ट्र की उन्नति होती है । लेखन, गणित आदि से लेकर शकुनिरुत पर्यन्त बहत्तर कलाएं हैं।
श्री आदिनाथ पुराण के अनुसार कुमारी ब्राह्मी और सुन्दरी ने अपने पिता ऋषभदेव से नारियों की चौसठ कलाओं का शिक्षण प्राप्त कर महिला समाज में उनका प्रचार किया था। वर्तमान युग में भी नारियों को सुशिक्षित बनाना आवश्यक है यत: नारी समाज, मानव समाज का प्रमुख अंग एवं समभाग है । 5. वाणिज्य कर्म
राष्ट्र तथा समाज की दरिद्रता को दूर करने के लिये और मानव के जीवन निर्वाह के लिये अर्थ की आवश्यकता होती है तथा अर्थ की पूर्ति या आर्थिक उन्नति प्राय: वाणिज्य एवं व्यापार से होती है । अत: गृहस्थ को न्यायपूर्वक व्यापार तथा वाणिज्य करना चाहिये । राजकीय मुद्रा (सिक्का) व्यापार का एक सरल माध्यम है, मापतौल के साधन भी माध्यम हैं । अत: शासन के अनुकूल उनका उचित व्यवहार और प्रयोग करना आवश्यक है ।
6. शिल्पकर्म
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राष्ट्र की उचित व्यवस्था और मानव समाज के जीवन व्यवहार के लिये शिल्प कर्म की आवश्यकता है। शिल्प कला अनेक प्रकार की होती है, जैसे कुम्हार की कला, लोहार की कला, रथकार कला, चित्र कला, वस्त्र कला, नाई की कला, गृह निर्माण कला, मूर्तिकला, कुटीर उद्योग इत्यादि । वर्तमान में वैज्ञानिक कला,
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