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________________ श्री राष्ट्रसंत शिरोमणि अभिनंदन ग्रंथ जैन तीर्थ मुहारीपास (टीटीई नगर) - मुथा घेवरचंद हिम्मतमलजी निवासी आहोर, कराड (महा.) अतिप्राचीन ऐतिहासीक तीर्थ 'मुहरीपास' (टींटोई नगर) इस तीर्थ की स्तवना केवली भगवंत श्री गौतमस्वामीजी ने जगचिंतामणि चैत्यवंदन में इस प्रकार की है । “मुहरीपास दुह दुरीय खंडण श्री मुहरीपास पार्श्वनाथ भगवान की यह मूर्ति श्वेतरंगी 41 ईंच लगभग की श्री टींटोई नगर में बिराजित है। यह मूर्ति पहले मुहरीगाम में एक ठाकुर साहब के पास थी जो दर्शनार्थियों से सुवर्ण मोहर लेता था । इस कारण मुहरीपास नाम पड़ा है। कालांतर में यह मूर्ति भूमि में गाढ़ दी गई कई वर्षों बाद मोडासा निवासी श्रावक को अधिष्टायक देव ने मूर्ति के स्थान का संकेत दिया । उसके बाद मोडासा एवं टीटोई के श्रावकों ने मिलकर संकेतानुसार स्थान पर जाकर खनन करके उस मूर्ति को प्रकट किया । बाद में दोनों संघों की मूर्ति लेजाने की भावना हुई । फिर आपस में समझकर यह मूर्ति बैलगाड़ी में बिराजमान कर सब श्रावक गण मूर्ति बिराजित बैलगाडी के पीछे पीछे चलाने लगें । टींटोई ग्राम आते ही बैलगाडी टींटोई गांव की तरफ मुड़गई । पश्चात् श्रावक संघ ने शिखर युक्त मंदिर बनवाकर यह मूर्ति बिराजमान कराई । मूर्ति के हस्त कमल में हररोज चांदी की अठन्नी आती थी । आज भी मूर्ति के हस्तकमल में अठन्नी रखे जैसा चिन्ह अंकित है । पुजारी के द्वारा दूसरों को बताने के बाद अठनी आनी बंद हुई । 35 इस मूर्ति की प्रतिष्ठा के समय ठाकुर सा. के घर में एक व्यक्ति की मृत्यु हुई । तब पंच महाजन ने मिलकर ठाकुर साहब से अर्थी मंदिर के पीछेवाले रास्ते से ले जाने की विनंती की, परंतु ठाकुर साहब ने न माना और अर्थी मंदिर के आगे से ले गये । घर आने पर दूसरी मृत्यु हुई और फिर तीसरी मृत्यु हूई । बादमें ठाकुर साहब एवं पूरे कुटुंब ने मिलकर मंदिर जाकर खूब पश्चाताप किया । और तबसे कोई भी अर्थी मंदिर के सामने से न ले जाते हैं यह सिलमिला आज भी जारी है यह बात करीबन दोसौ वर्ष के आसपास की है जिनालय बहुत ऊंचा शिखर युक्त है । यह तीर्थ टींटोई मोडसा से 7 किलो मीटर दूरी पर है । अहमदाबाद से केशरियाजी मार्ग पर है । बरोडा से भी बस मिलती है । ऐसी मूर्ति अन्यत्र दुर्लभ है । अवश्य दर्शनकर मानवभव सफल करें यही शुभ कामना के साथ । इस तीर्थ स्थान का पता इस प्रकार है - श्री मुहरीपास जैन श्वेताम्बर मंदिर की पेढी मु. पो. टींटोई वाया - हेमेन्द्र ज्योति* हेमेन्द्र ज्योति 128 हेमेन्द्र ज्योति * हेमेन्द्र ज्योति Personal Use Only मोडासा (गुजरात)
SR No.012063
Book TitleHemendra Jyoti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLekhendrashekharvijay, Tejsinh Gaud
PublisherAdinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi
Publication Year2006
Total Pages688
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size155 MB
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