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श्री राष्ट्रसंत शिरोमणि अभिनंदन था
चूहे की सवारी स्पष्ट करती है कि नेता में व्यवस्था पटुता की अद्भुत क्षमता होनी चाहिये । गणेशजी के समान उदारता, गम्भीरता, सहिष्णुता, चिन्तनशीलता तथा वाणी-संयम जिस नेता में मुखर हो उठते हैं, वह नेता लोक में सदा पूज्यता प्राप्त करता है ।
दीपावली पर भगवान महावीर को जन्म मरण के दारुण दुःखों से पिंड छुड़ाने का अवसर मिला था । वे मोक्ष को प्राप्त हुये थे । कपट, द्वेष और मिथ्याचार तथा अहंकार जैसी गंदगी को दूर कर हमें दीपावली के दिव्य संदेश–अन्तरंग को प्रकाश से आप्लावित करना चाहिये । गोवर्धन पूजा :
दीपावली के पश्चात् प्रतिपदा को यह त्योहार मनाते हैं । यह हमें कर्तव्य का भान कराता है । जो समाज में मूक सेवक हैं उनका अभिनन्दन करने की भावना भी उसी में सन्निहित हैं । गौतम भगवान महावीर के दार्शनिक शिष्य थे । वे भगवान महावीर के वीतराग भाव को धारण करते हैं और अन्ततः स्वयं भगवान् महावीर की नाई परम ज्योतिर्मान हो जाते हैं । भैय्या दूज : भाई-बहन के पवित्र प्रेम का प्रतीक :
नन्दीवर्धन और सुदर्शना के जीवन पर आधारित भैय्यादूज भाई द्वारा बहिन की रक्षा का उद्घोष है । बसंत पंचमी:
यह ज्ञान और वैराग्य का त्योहार है । पतझड़ के बाद ऋतु का शुभागमन नव निर्माण का द्योतक है । विनाश के बाद विकास की सूचना लेकर वसंत ऋतु आती है । जर्जर, मृतप्रायः प्राकृतिक वनस्पतियों में नव जीवन का संचार होने लगता है । वसंत को सब ऋतुओं में श्रेष्ठ माना जाता है । यह ऋतुराज भी कहलाता हैं।
सर्व प्रथम ज्ञान की पूजा कीजिये । ज्ञान प्राप्त करना वैराग्य की प्रेरणा देता है । अज्ञान और मोह का समूळ अन्त हो जाने पर सम्पूर्ण ज्ञान का आलोक प्राप्त होता है । ज्ञान से मोह पर विजय प्राप्तकर साधक वीतराग बना करता है । इस वसंतपंचमी का यही सन्देश आज हम सब के लिये है ।
इस प्रकार पर्व और त्योहार हमारे जीवन में आत्मिक और आध्यात्मिक चेतना तथा सामाजिक और सांस्कृतिक जागरण द्वारा जीवन को हर्ष-उल्लास से सम्पृक्त करते हैं | सामाजिक चेतना द्वारा राष्ट्रीय जागरण का सन्देश दिया जाता है ।
आज राजनीतिक संसार में घोटालों से गला घुटने लगा है । अनाचार और अत्याचार से समूह और समुदाय में भयंकर आंतकवाद फैलता जा रहा है । लूट-पाट, चोरी और डकैतियां आम बात हो गयी है । जीवन सर्वथा असुरक्षित और आशंकाओं से घिरता जा रहा है । संयुक्त परिवार टूटने और बिखरने लगे हैं । अखण्ड जीवन की ज्योति निष्प्राण होने लगी है । साथ साथ जीवन जीने की अपेक्षा अनाथ जैसा जीवन जीना आज के नवजीवन का स्वभाव बन गया है ।
पर्व और त्योहार आकर हमारे जीवन में स्फूर्ति और जाग्रति का अद्भुत संचार करते हैं । पर्वो तथा त्योहारों के आयोजन एक अद्भुत प्रकार का उल्लास और प्रेरणा प्रदान करते हैं । पर्व हमारे जीवन में त्याग और साधना का संचार करते हैं | तब भोजन के स्थान पर भजन गाने-बजाने के स्थान पर ध्यान-साधना व्रत, विधान, सेवा और दान जैसी विविध प्रवृत्तियाँ मुखर हो उठती हैं । इस प्रकार पर्व जीवन सुधार का अमोघ साधन सिद्ध हो जाता है । पर्व की प्रयोग प्रियता और प्रसंगिकता प्रायः असंदिग्ध है ।
मंगल कलश 394, सर्वोदय नगर, आगरा रोड, अलीगढ़ - 202 001.
हेमेन्ट ज्योति* हेगेन्ना ज्योति99
हेमेन्द्र ज्योति* हेमेन्द्र ज्योति ।
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