________________
परम गुरूभक्त श्री हुकमीचन्दजी आशीर्वाद
प्राप्त करते हुए
पू. आचार्यश्री से चर्चा करते हुए मुनिश्री ऋषभचन्द्रविजयजी म.सा.
मोहनखेड़ापाट गादी का एक अलौकिक चित्र (यह वह पाट है जिस पर पू. यतीन्द्रसूरिजी एवं विद्याचन्द्रसूरिजी बैठते थे और आज आप बैठते हैं।)
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org