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जयेशसे जिनेन्द्र बनने चले
गुरसेदीक्षा पाकर मानवजीवन धन्य हुआ। आशीषोंकाअमृतपीकर
शिष्य अमर हुआ।
आशीर्वाद देते हुए यंथनायक श्री
दीक्षा पश्चात मुनि जिनेन्द्रविजयजी
सारंगी (नि.)जयेशकुमार को
ओधा प्रदान कर दीक्षा देते हुए भव्यातिभव्य दीक्षा महोत्सव
दीक्षा विधि का एक विहंगम द्रश्य
ओघा पाने पश्चात आनंदित निलेशकुमार
नूतन मुनि श्री पीयूषविजयजी का मंडप में प्रवेशा
चलारे भाई दीक्षा के पथ पर
मोहनखेड़ातीर्थ मेंदीक्षार्थी श्रीनीलेशकुमार भण्डारीकी पावनकारी दीक्षा की
एक झलक
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