SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 224
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री राष्ट्रसंत शिरोमणि अभिनंदन ग्रंथ DXXYOGY आचार्य श्री के आहोर में किये हुए कार्यों का स्मरण एवं कुछ ऐतिहासिक बातें -मुथा शान्तिलाल, आहोर प्रथम बार सम्वत् 2000 की साल में मुनिराज श्री हेमेन्द्रविजयजी का चार्तुमास उपाध्याय मुनिराज श्री गुलाबविजयजी हंसविजयजी आदि के साथ में हुआ । उस चार्तुमास में आपने मासक्षमणा की तपश्चर्या की । सम्वत् 2039 का आपका चार्तुमास चतुर्विध श्रीसंघ के अग्रगण्य रूप में स्वतन्त्र चार्तुमास हुआ । सम्वत् 2040 गुरु सप्तमी के दिन गुरुगादी के देवो अधिष्ठाता के आदेशानुसार आपके नाम की आचार्य पद हेतु की घोषणा की गई । उस दिन गांव के सब लोगों का उत्साह बहुत ही चिरस्मरणीय रहा और सब गांवों के आये हुए सब संघों ने हर्ष ध्वनि के साथ बधाया । बाद में आचार्य पद के पाटोत्सव की तैयारियाँ श्री संघने शुरू की और 2040 माहसुदि 9 के दिन का नवाहिन्का महोत्सव के साथ आपके आचार्य श्री विद्याचंद्र सूरीश्वरजी के पाट पर आचार्यपद से अलंकृत किया गया। सम्वत् 2043 जेठ सुद 6 के दिन श्री गोडी पार्श्वनाथ बावन जिनालय के प्रांगण में शा. शान्तिलालजी. मांगीलालजी, लक्ष्मणाजी द्वारा निर्मित त्रिशिखरी मंदिर में श्री सीमंधर स्वामी श्री पद्मनाथस्वामी और श्री वारिषेण स्वामीजी 71 इंच की प्रतिमाजी एवं अन्य 150 प्रतिमाजी की अंजनशलाका एवं प्रतिष्ठामहोत्सव शिखर ऊपर कलशदंड ध्वजा महोत्सव पूर्वक चढ़ाये गये । सम्वत् 2043 जेठ सुद 11 के दिन श्रीमती ओटिबाई द्वारा संस्थापित श्री फूलचन्द जैन मेमोरियम ट्रस्ट नव निर्मित विद्याविहार में श्री सहस्रफणा पार्श्वनाथ आदि बिम्ब प्रवेश व साम्वरण पर कलश दंड ध्वजा पंचान्हिका महोत्सव सहित चढ़ाये गये। सम्वत् 2050 वैशाख सुद 10 दिन महोत्सव पूर्वक तीन वैरागिनीजी स्व. प्रकाशचन्द गादिया की धर्मपत्नी सेवंतिबाई गादिया श्रीमान् मांगीलालजी ताराचन्दजी तिलेसराजी की दो पुत्रियां निर्मलाकुमारी, कान्ताकुमारी तीनों को दीक्षा प्रदान की गई। सम्वत् 2053 के जेठ सुद 10 के शा फोला मुथा हिराचंदजी भगवान जो द्वारा गोडीजी बगीची में नव निर्मित श्री प्रमोदसूरि सभामण्डल का उद्घाटन एवं दोपहर को महापूजन का आयोजन आपकी निश्रा में हुआ । सम्वत् 2055 को फाल्गुण वद 5 के दिन श्री गोडी पार्श्वनाथ बावन जिनालय के शताब्दी महा महोत्सव ग्यारह दिवसीय महोत्सव सहित अपकी ही निश्रा में मनाया गया । आहोर वह शहर है जहां पर सम्वत् 1924 को वैशाख सुदि 5 के दिन शुभ मुहूर्त में मुनिराज श्री रत्नविजयजी महाराज को आचार्य श्री प्रमोद सूरीश्वरजी महाराज ने अपने पट्टधर के रूप में आचार्य पद सूरिमंत्र देकर श्री राजेन्द्र सूरीश्वरजी के नाम की घोषणा की थी । सम्वत् 2033 चैत्र वदि 11 के दिन आचार्य श्री प्रमोदसूरिजी महाराज का स्वर्गवास यहां ही हुआ, जिसकी समाधि की छत्री आज भी ग्राम पंचायत कार्यालय के सामने स्थित हैं। सम्वत् 1936 को महासुदि 10 के दिन चंद्रावती नगरी से आई हुई अलौकिक श्री गोडी पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमा मंदिरजी में प्रतिष्ठा एवं देववाणी अनुसार मंदिरजी के इर्द गिर्द 54 छोटी देवकुलिका व 3 बडे मंदिरजी का निर्माण हुआ । जिसमें भगवान का प्रवेश 57 शिखरों पर ध्वजा कलश चढाये गये । हेमेन्द्र ज्योति * हेमेन्द्र ज्योति 761 हेमेन्द्र ज्योति* हेमेन्द्र ज्योति AND H eaddaloprimernama
SR No.012063
Book TitleHemendra Jyoti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLekhendrashekharvijay, Tejsinh Gaud
PublisherAdinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi
Publication Year2006
Total Pages688
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size155 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy