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________________ श्री राष्ट्रसंत शिरोमणि अभिनंदन पंथ प.पू. राष्ट्रसंत शिरोमणि गच्छाधिपति आचार्यश्रीमद् विजय हेमेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. का चेन्नई वर्षावास विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों तथा आराधनाओं के साथ सानन्द सम्पन्न हुआ। श्रद्धालुगण परस्पर चर्चा करने लगे कि वर्षावास का समय इतनी जल्दी व्यतीत हो गया कि कुछ पता ही नहीं चल पाया। चेन्नई के श्रीराजेन्द्र जैन भवन से वर्षावास की समाप्ति के बाद आपने अपने मुनिमंडल के साथ विहार कर दिया और आप चिकबालपुर पधारे, जहां आपके सान्निध्य में प्रतिष्ठा की जाजम का शुभ मुहूर्त निश्चित हुआ। फिर यहां से विहार कर आपका पदार्पण राणी बेन्नूर हुआ, जहां आपके सान्निध्य में गुरु सप्तमी पर्व त्रिदिवसीय कार्यक्रम के साथ समारोहपूर्वक मनाया गया। इस अवसर पर 100 जोड़ों से गुरुपद महापूजन का विधान भी किया गया। यहां का कार्यक्रम सम्पन्न करने आपने यहां से विहार कर दिया और पुनः चिकबालपुर पधारे। चिकबालपुर में दिनांक 7-2-2001 बुधवार को श्री महावीरस्वामी की प्रतिमाओं की एवं गुरु प्रतिमा की पंचाहिका महोत्सव के साथ प्रतिष्ठा आपके सान्निध्य में सम्पन्न हुई। चिकबालपुर से विहार कर आपका पदार्पण बैंगलोर में हुआ। वहां आपकी लगभग एक माह तक स्थिरता रही। इस अवधि में यहां के विभिन्न क्षेत्रों में महापूजनों का व अन्य आयोजन हुआ। जितनी अवधि तक आप बैंगलोर में रहे धर्मध्यान की धूम मची रही। फिर यहां से विहार कर दिया। बैंगलोर से विहार कर आप तम्कुर पधारे, जहां त्रिदिवसीय धार्मिक कार्यक्रम सम्पन्न कर वहां से टिपटूर नगर में पधारे। टिपटूर में आपके सान्निध्य में महावीर जयंती का समारोहपूर्वक आयोजन सम्पन्न हुआ। फिर यहां से विहार कर हासन, मेंगलोर, धर्मस्थल, मूएवंडी आदि मार्गवर्ती ग्राम-नगरों में विचरण करते हुए आपने चित्रदुर्ग नगर में समारोहपूर्वक प्रवेश किया। यहां पंचाह्निका महोत्सवपूर्वक भव्य गुरु मंदिर में गुरुदेव श्रीमद्विजय राजेन्द्र सूरीश्वरजी म. की प्रतिमा की प्रतिष्ठा का कार्यक्रम आपके सान्निध्य में ज्येष्ठ कृष्णा 2 दिनांक 9-5-2001 बुधवार को सानन्द सपन्न हुआ। यहां से विहार कर आप हुबली नगर में पधारे। यहां ज्येष्ठ शुक्ला 5 दिनांक 27-5-2001 को आपके सान्निध्य में गुरुदेव श्रीमद्विजय राजेन्द्र सूरीश्वरजी म. के गुरुमंदिर का प्रतिष्ठा महोत्सव पंचालिका महोत्सव के साथ सानन्द हुआ। यहां पर आगामी वर्षावास के लिये आपकी सेवायें बैंगलोर, चित्रदुर्ग, हुबली, राजमहेन्द्री, काकीनाड़ा, नेल्लूर, बीजापुर आदि नगरों के श्री संघों ने अपने-अपने यहां वर्षावास करने के लिये बिनतियां की। परिस्थिति को देखते हुए राष्ट्रसंत शिरोमणि ने वर्ष 2001 के वर्षावास के लिये श्रीसंघ राजमहेन्द्री को अपनी स्वीकृति प्रदान की। यहां से विहार कर आप होस्पेट पधारे, जहां आपके सान्निध्य में विशाल नूतन महावीर भवन का उद्घाटन समारोहपूर्वक सम्पन्न हुआ। यहां से विहार कर आप हम्पी, बल्लारी, आदोनी, करनूल, गुंटूर, विजयवाड़ा, एटूर आदि नगरों में विचरण करते हुए आपने दिनांक 18 जुलाई 2001 को शुभ मुहूर्त में भव्यातिभव्य समारोह के साथ वर्षावास के लिए राजमहेन्द्री में प्रवेश किया। इस अवसर पर राजमहेन्द्री तथा अन्य ग्राम-नगरों से हजारों की संख्या में गुरुभक्त यहां आकर प्रवेशोत्सव में सम्मिलित हुए। प्रवेशोत्सव का यह समारोह नगर के विभिन्न मार्गों से होता हुआ वर्षावास स्थल पर पहुंचकर धर्मसभा में परिवर्तित हो गया। इस धर्मसभा में वक्ताओं ने अपनी-अपनी भावना को भावपूर्ण शब्दों में अभिव्यक्त किया। मुनिराज श्री कोंकणकेसरीजी म. का सामयिक प्रवचन हुआ। प.पू. राष्ट्रसंत शिरोमणि गच्छाधिपति आचार्य श्रीमद्विजय हेमेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के मंगलवचन के साथ कार्यक्रम समाप्त हुआ। आपके प्रवेश के साथ ही यहां कार्यक्रम एवं आराधनाएं प्रारम्भ हो गई। वर्षावास काल में श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ अट्ठम, नवकार आराधना, 15 मासखमण, 51 उपवास, 21, 11 उपवास के साथ लगभग 20 अट्ठाइयां हुई। श्री भूरमल प्रतापी तखतगढ़ वालों का जीवित महोत्सव अट्ठाई महोत्सव के साथ मनाया गया। इसी प्रकार पतासीदेवी जेरूपजी गुड़ावालों का जीवित महोत्सव भी अट्ठाई महोत्सव के साथ मनाया गया। भगवान महावीर के 2600वें जन्म कल्याणक वर्ष के उपलक्ष्य में पंचालिका महोत्सव निम्नांकित कार्यक्रमों के साथ मनाया गया। इसका नाम दिया गया था - चलो जिनालय चलें.... हेमेन्य ज्योति* हेमेन्य ज्योति 51 हेमेन्द्र ज्योति* हेमेन्द ज्योति Cowwjainelaray.
SR No.012063
Book TitleHemendra Jyoti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLekhendrashekharvijay, Tejsinh Gaud
PublisherAdinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi
Publication Year2006
Total Pages688
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size155 MB
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