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श्री राष्ट्रसंत शिरोमणि अभिनंदन ग्रंथ
पद्य विभाग
पद आचार्य हेमेन्द्र
श्री रूपचन्द म. रजत पार्श्व रूपपारसपरम, चिन्तामणि सुखधाम ।
काम धेनु सुरविरय वर लोक मान्य अभिराम ।।
गणिमणी सम रसधणी, विजयहेमन्त अभिधान ।
सरल शशिमुनि इन्दसो, त्रीस्तुति रूप निधान ।।
रतन प्रकट्यौ वागरे मरूस्थली जालोर ।
पिता ज्ञानचन्द धिनहुओ, उजम मात चह ओर ।।
बाणा, ऋषि, निधि चन्द्रवर, शुभदिन मास घड़ी ।
पूनम घर आयो पाहुणो, त्रीथुई हीरणड़ी ।।
बाल सुलभ लीला मधुर, हरषितव्है मन मोर ।
पूनम छिब मन मोहती, चलतां ले चित चोर ।।
वर चतुर पद परखियो, तेज विलक्षण भाल ।
भविष भाखियौ रूपसी, करसीजोग कमाल ।।
'हर्षविजय' गुरु भेटियों, प्रकटितइयन प्रकाश ।
हेमइन्द्रसूरि कियौ पूनम चन्द्र उजास ।।
संयम सेवा साधना, त्याग तितिक्षा पंथ ।
वीतराग मग माघसो, हेमसूरिश्वरसंत' ।।
खलक मुलकरो सेवरो, सूरिन्द्रविद्याचन्द्र ।
चालीसे दिलोकग्याँ, पदआचार्य हेमेन्द्र ।।
धरमध्यानअराधना, तप उपधान विराट ।
'हेमइन्द्र दरबार में, संघ यात्रा को ठाट ।।
- प्रेषक नानेश विरक्त
हेमेन्द्र ज्योति* हेमेन्द्र ज्योति
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हेमेन्द ज्योति* हेमेन्द्र ज्योति।
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