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________________ दीक्षा कुण्डली २४० ५ रा० TAL ल० श०३Xमं०१ बल सू० ६ चं० ७गु० (११ के० १० आचार्य पद कुण्डली गु० ९ बु० ২ হা০ ও ২০ चं०१० के० X ल०८ सू० ११ मं० श्री वल्लभनिर्वाण कुंडलीगान हस्तीमल कोठारी अथ शुभ सम्वत् १९४४ (गुजराती ४३) वैशाख शु०१३ गुरौ ४३ए५४, हस्तभे,२१/० बजयोगे ३७-३२,मेपार्कतः | २४, स्टैण्डर्ड टा० ८-३९ तदनुसार ५मई १८८७, तर्ज-छोड़ गये महावीर मुझे आज अकेला छोड़ गये। सूर्योदयादिष्टम् ६-२०, राधनपुर, स्थानीय अक्षांशाः (दक्षिणीयाः) २३०-४५ रेखांशाः ७१०-३६ तत्काले मेरे श्रीसंघकेसिरताज, अब कहाँ सिधारे राज। दीक्षा ऽभवत् मरूधरकी आँखों के तारे, पंजाबियों के प्राण। भारत का था कल्पतरूवर, गर्जर प्रकटयो भाण। मेरे वल्लभ तेरा नाम अनुपम, जग वल्लभ कहलाया। लाखों मनुज का नायक था, यहाँ लाखों कादिल बहलाया। मेरे वृद्ध आयु तक देव तेने, जिन धर्मकी सेवा कीनी। श्रावक संघ के अभ्यद्रयहित, संस्थायें स्थापन कीनी । मेरे अथ शुभ सं०१९८१ मार्गशीर्ष शुक्ला ५, सोमवासरे ११४६, श्रवणभे ४३-२९ धुव योगे ४४-५३ वृश्चिकार्कतः कर्क लगन में चंद्र गुरू संग, गरूवर स्वर्ग सिधारे। १७, तदनुसार १ दिसम्बर १९२४ लाहौरनगरीय कन्या का रवि बीजे भवन में, दिव्य पराक्रम धारे । मेरे सूर्योदयदिष्टम ०-४०, आक्षांशाः३१-३५,रेखांशाः ७४ | शुक्र शनैश्रर चौथे भवन में, बध भी साथ कहावे। १९(बम्बई पांचांगानुसार)अयनांश:२२-४२-५६,लाहौर मंगल राहु छट्टे भवन में, केतु बारमें ठावे । मेरे स्टैण्डर्ड टाइम ७.३० प्रातः आचार्य पद-प्राप्तिः अभवत् धर्म-भवन का स्वामी सुरगुरू, उच्च लगन में बैठा। चंद्र शक्र निज घर के स्वामी, शनी उच्च बन बैठा। मेरे मंगल रह रवि त्रीजे छठे. ये सब शभ फलकारी। उच्चगति को प्राप्त करावे, ग्रह बल के अनुसारी। मेरे छोड़ हमें गरू स्वर्ग के सुखमें, तेरा जी ललचाया। आसो वदि देशमी की रात्रि, गुरूवर स्वर्गसिधाया। मेरे मंगलवारे पष्य ऋषि के प्रथम चरण में जावे। अथ शुभ सं०२०११, आश्विन कृष्णा १०, परतः मुंबई शहर की लाखों जनता, गरूवर शोक मनावे मेरे एकादशी मंगलवार, तदनुसार २२ सितम्बर १९५४ प्रातः | भाग्य हुआ कुछ अल्प हमारा, वल्लभ सूर्य गमाया। २-२३, स्टै०टा० तत्समये निर्वाण पद प्राप्तिः अभवत्। हस्ती श्री गुरूराज चरण में, सादरसीप्त झुकाया। मेरे Perimester आदर्श जीवन (बृहद्). ४रा० निर्वाण कुण्डली ५ ३के० सू०६X ल०४ ग० चं० ७ बु० श० शु० १०X १२ X ९रा० मं० www.jainelibrary.org
SR No.012062
Book TitleAtmavallabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagatchandravijay, Nityanandvijay
PublisherAtmavallabh Sanskruti Mandir
Publication Year1989
Total Pages300
LanguageHindi, English, Gujarati
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size55 MB
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