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तत्त्वार्थ श्रद्धाणं समग्रदर्शनम्
पंच परमेष्ठि
1. अरिहंत
2, सिद्ध
3. आचार्य 4. उपाध्याय 5. साध
सात क्षेत्र
अंग व अग्र पूजा की समाप्ति स्वरूप आरती तथा
मंगल-दीपः अनंत उपकारी श्री तार्थकर परमात्मा की अत्यंत उल्लासपूर्वक अंग व अग्र स्वरूप अष्ट प्रकारी पजा की समाप्ति के बाद भाव-मंगल की प्राप्ति हेत आरती व मंगल दीप करना चाहिए।
आरती समय बोले जाने वाले दोहे: जय-जय आरती आदि जिणंदा,
नाभिराया मरुदेवी को नंदा; जय०।।।।। पहेली आरती पूजा कीजे,
नरभव पामीने लाहो लीजे. जय०।।।।। दूसरी आरती दीन - दयाला,
धलेवा नगरमा जग अजवाला: जय०।।3।। तीसरी आरती त्रिभवन - देवा,
सुरनर इन्द्र करे तेरी सेवा. जय०11411 चौथी आरती चउगति चरे,
मन वांछित फल शिवसुख परे. जय०।।5।। पंचमी आरती पुण्य उपाया, मलचन्द रिखव गण गाया. जय०।।6।।
1. जिन प्रतिमा 2. जिन मंदिर 3. जिनाणम
4. साधु 5. साध्व 6, श्रावक 7, श्राविका
चौबीस तीर्थंकर
1. श्री आदिनाथ 4. श्री अभिनंदन 7. श्री सुपार्श्वनाथ 10. श्री शीतलनाथ 13. श्री विमल नाथ 16. श्री शान्तिनाथ 19. श्री मल्लीनाथ 22. श्री नेमिनाथ
2. श्री अजिनाथ 5, श्री सुमतिनाथ 8. श्री चन्द्रप्रभ 11. श्री श्रेयांस नाथ 13. श्री अनंतनाथ 17. श्री कुंथुनाथ 20. श्री मुनि सुव्रत स्वामि 23. श्री पार्श्वनाथ
3. श्री संभवनाथ 6. श्री श्री पद्मप्रभु 9. श्री सुविधिनाथ 12. श्री वासुपूज्य स्वामि 15. श्री धर्मनाथ 18. श्री अरनाथ 21. श्री नमिनाथ 24. श्री महावीर स्वामि
: मंगल दीप के दोहे:
पंच कल्याणक
I. olirauljvja 2. जन्म कल्याण 3. दीक्षा कल्याणक 4. केवल ज्ञान कल्याणक 5 मोक्ष कल्याण
नव तत्त्व 1. जीव 2, अजीव 3. पुण्य 4. पाप 5. आस्रव 6. संवर
. निर्जरा 8, बंध 9. मोक्ष
दीवा रे दीवो प्रभु मंगलिक दीवा,
आरती उतारो ने बह चिरंजीवो. सोहामणी घेर पर्व दीवाली.
अम्बर खेले अमरा बाली. दीपाल भणे अणे कुल अजुआली,
भावे भगते विघन निवारी. दीपाल भणे अणे कलिकाले,
आरती उतारी राजा कमार पाले. अम घेर मंगलिक तम घेर मंगलिक,
मंगलिक चतर्विध संघने होजो.
दीवो रे दीवो....
45. आगम 11-अंग, 12-उपांग, 6-छेद सूत्र, 4-मूल सूत्र, 10-पयन्ना, 44-अनुयोग द्वार, 45-नंदिसूत्र।
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