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श्री आत्म-वल्लभ श्रमणोपासक गुरुकुल की स्थापना.
वर्तमान गच्छाधिपति कोंकण देश दीपक श्रीमद् विजय रत्नाकर सूरीश्वर जी म. ने 'गच्छाधिपति' का पद सम्भालने के पश्चात् उदयपुर संक्रान्ति में घोषणा की थी कि मैं आत्म-वल्लभ का समय फिर से लाना चाहता हूँ। इस घोषणा को उन्होंने समय-समय पर कई बार दोहराया। इसी समय को लाने के लिए वर्तमान गच्छाधिपति जी ने विभिन्न मंगलमय कार्यक्रम समाज को करने की प्रेरणा दी। इसमें से लुधियाना चातुर्मास के मध्य, संक्रान्ति पूर्व दिन पर युवा वर्ग के लिए शिविरों का आयोजन किया गया। कुल 5 शिविरों का आयोजन हुआ और उसमें सैंकड़ों नवयुवकों ने भाग लेकर गुरु वचनामृत द्वारा जिनवाणी का रसपान करते हुए, वर्तमान परिस्थितियों में जैन धर्म के विषय में अपनी शंकाओं का समाधान किया। इन्हीं शिविरों की सफलता को देखते हुए प.पू. गच्छाधिपति जी ने उत्तरी भारत में एक गुरुकुल की स्थापना करने की भावना प्रकट की। संयोग से दिनांक 22 सितम्बर 2003 से 10 अक्तूबर 2004 तक का समय पूज्य गुरुवर विजय वल्लभ सूरीश्वर जी म. का स्वर्गारोहण अर्द्धशताब्दी वर्ष मनाने का सुअवसर मिला। इसी वर्ष के मध्य प.पू. गच्छाधिपति जी ने श्री आत्म-वल्लभ जैन श्रमणोपासक गुरुकुल की स्थापना करने की भावना प्रकट की, जिसे श्री जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ अम्बाला ने हर तरह से, हर प्रकार से सहायता देने की पेशकश की और दिनांक 22.09.2003 इसकी विधिवत् स्थापना की गई और इसी दिन गुरुवर श्रीमद् विजय वल्लभ सूरीश्वर जी म. की पुण्य तिथि के दिन से गुरुवर विजय वल्लभ अर्द्धशताब्दी वर्ष मनाने का शुभारम्भ हआ। देखते ही देखते सभा में गच्छाधिपति जी की निश्रा में गुरुकुल के लिए लाखों की राशि एकत्रित हो गई, कई महानुभावों ने हजार रुपये प्रतिमास पाँच साल तक देने की घोषणा की। प्रथम दिन 15 बच्चों ने प्रवेश लिया। समाज में धार्मिक जागृति के साथ-साथ बच्चों की संख्या बढ़ती जायेगी। इस गुरुकुल में व्यावहारिक ज्ञान वर्तमान शिक्षा के साथ धार्मिक ज्ञान की शिक्षा दी जायेगी। धार्मिक ज्ञान में महामंत्र नमस्कार, गुरुवन्दन, परमात्मा की पूजा-सेवा, सामायिक, पंच प्रतिक्रमण के पाठ, सूत्रों-अर्थों सहित नव तत्त्व विचार आदि विषयों के साथ-साथ जैन धर्म के मौलिक सिद्धांतों की जानकारी दी जायेगी। इस गुरुकुल की स्थापना के लिए प.पू. गच्छाधिपति जी का उद्देश्य नवयुवकों में जैन धर्म के प्रति जागरूकता, जानकारी और क्रियावादी बनाना है। इस गुरुकुल को व्यवस्थित चलाने के लिए एक प्रबन्धक कमेटी बनाई गई जो निम्न प्रकार है:
श्री कीर्ति प्रसाद जैन
प्रधान
श्री अतुल कुमार जैन (सी.ए.)
उप प्रधान
श्री महेन्द्र पाल जैन बजाज
कोषाध्यक्ष
श्री अरविन्द कुमार जैन अम्बालवी मन्त्री
सदस्य श्री एन.के. जैन श्री नरेश कुमार जैन सर्राफ श्री अरविन्द कुमार जैन (सुपुत्र श्री कीर्ति प्रसाद जैन)। श्री जवाहर लाल जैन मुन्हानी
श्री सुशील कुमार जैन मुन्हानी श्री नरेन्द्र कुमार जैन मुन्हानी श्री नितिन कुमार जैन सर्राफ श्री हेमन्त कुमार जैन नारोवाल
MARA
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विजय वल्लभ संस्मरण-संकलन स्मारिका
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