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- “चाहत जैसे चन्द्र चकोरा, जिम चाहे घन घट मन मोरा।। माता जिम चाहे मन छोरा, मन को तिम प्रभु जी से जोरा।।"
"जैसे चकोर का चन्द्र में, मोर का मेघ घटा में, माता का पुत्र में मन रमा रहता है,वैसे। ही भक्त का मन प्रभु से जुड़ा रहता है। भक्त की तन्मयता अनुपम है, उसका आनन्द अनुपम है, उसकी मस्ती अनुपम है और अनुपम है उसकी जीवन लीला।" -विजय वल्लभ
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