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प्रकाशकीय
वल्लभ काव्य सुधा
श्री आत्म-वल्लभ-समुद्र-इन्द्रदिन्न पाट परम्परा पर सुशोभित वर्तमान पट्टधर कोंकण देश दीपक जैनाचार्य श्रीमद् विजय रत्नाकर सूरीश्वर जी महाराज ने गुरुवर विजय वल्लभ स्वर्गारोहण अर्द्धशताब्दी वर्ष को एक महोत्सव रूप में मनाने की जैन | समाज को प्रेरणा दी। इस सुकृत कार्य को क्रियान्वित रूप देने के लिए अखिल भारतीय विजय वल्लभ स्वर्गारोहण अर्द्धशताब्दी
महोत्सव महासमिति का गठन किया गया जिसमें श्री कश्मीरी लाल जी 'बरड़' को अध्यक्ष पद पर मनोनीत किया गया। अध्यक्ष जी
ने कार्य को सुचारू रूप देने के लिए एक कार्यकारिणी का गठन किया और विभिन्न सदस्य मनोनीत किये। जिसमें | कार्यकारी अध्यक्ष का पदभार मुझे सौंपा गया। गुरुवर विजय वल्लभ स्वर्गारोहण अर्द्धशताब्दी महोत्सव निमित्त अनेक कार्यक्रमों में
एक कार्यक्रम गुरुवर विजय वल्लभ द्वारा रचित परमात्म भक्ति के काव्यों पर आधारित विभिन्न प्रतियोगिताएं सम्पूर्ण उत्तर भारत में आयोजित करने की योजना है।
गुरुवर ने अपने जीवनकाल में परमात्मा की भक्ति में अनगिनत स्तवन एवं संज्झाओं की रचना की जिसे पं. हीरा लाल जी दुग्गड़ ने वल्लभ काव्य सुधा नाम पुस्तक में संग्रहित किया है। गुरुवर के द्वारा रचित हर एक भजन में कोई न कोई तत्त्व एवं
शास्त्रीय बातों के रहस्य छिपे हुये हैं। इन भजनों के गूंज हर जैन परिवार में सुनाई दें परमात्मा की भक्ति के साथ-साथ गुरुवर की __विजय पताका दिदिगन्त तक फैले। इसी उद्देश्य को लेकर और गुरुदेव वर्तमान पट्टधर आचार्य श्री की भावना को साकार रूप देते हुए हम 'वल्लभ काव्य सुधा' की पुरानी आवृत्ति को अक्षरक्षः पुनः मुद्रित कर रहे हैं।
प्रथम आवृत्ति में रचनाओं के संग्राहक एवं सम्पादक प्रसिद्ध विद्वान, व्याख्यान दिवाकर, विद्याभूषण, न्यायतीर्थ, न्यायमनीषी, स्नातक पंडित स्व. श्री हीरालाल जैन दुग्गड़ 'शास्त्री' को स्मरण किए बिना नहीं रह सकते जिनके अनथक प्रयासों से गुरुवर विजय वल्लभ की रचनाओं का रसपान हम आज भी कर रहें हैं, श्री आत्मानंद जैन सभा अम्बाला के सौजन्य से प्रथम संस्करण का प्रकाशन हुआ इसके साथ ही प्रथम आवृत्ति के प्रस्तावना लेखक डॉ. जवाहर चन्द्र पटनी (जिनकी लिखित प्रस्तावना प्रस्तुत संस्करण में पुनः प्रकाशित की जा रही है। इन सब का आभार मानते हुये तथा श्री पुष्पदंत जैन पाटनी सम्पादक ‘सत्यदर्शन' एवम् श्री संजीव जैन 'दुग्गड़' तथा वह महानुभाव जिन्होंने प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप में 'वल्लभ काव्य सुधा' के द्वितीय संस्करण प्रकाशन में अपना अमूल्य सहयोग दिया उन सब का आभार प्रकट करते हैं।
सिकन्दर लाल जैन 'एडवोकेट'
'कार्यकारी अध्यक्ष
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विजय वल्लभ संस्मरण-संकलन स्मारिका
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