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तप :: क्षमा सिर्फ शरीर को सुखाने का नाम ही तप नहीं है। शरीर के साथ जो अपराध
करने वाले राग द्वेष हैं-उनको सुखाने की जरूरत है और तप का सही अर्थ भी यही है।
यथा शक्ति तपस्या तो करनी ही चाहिए। पर तपस्या के साथ क्षमा धारण करना
भी अत्यन्त आवश्यक है।
सच्ची शान्ति भोग में नहीं त्याग में है। मनुष्य अपने हृदय में ज्यों ज्यों त्याग की ओर बढ़ता जाएगा, त्यों त्यों शान्ति उसके निकट आती जाएगी।
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