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लिए रवाना हुये। रात्रि 11 बजे अयोध्या पुरम पहुंचे। यह तीर्थ अभी बन रहा है। यहां पर भगवान जी की प्रतिमा है, जो 23 फीट ऊंची है। सारी रात का सफर तय कर हम प्रातः 5 बजे शंखेश्वर पार्श्वनाथ पहुंचे, वहां पहुंच कर कुछ समय विश्राम करने के बाद सुबह 7:15 बजे उठ कर स्नान कर पास के मन्दिर जी में पूजा अर्चना की। वहां से शंखेश्वर पार्श्वनाथ जी थोड़ी सी चढ़ाई पर स्थित है। वहां पहुंच कर 108 भगवान की प्रतिमाओं की पूजा अर्चना करते हुए मूल भगवान की प्रतिमा की पूजा अर्चना करते हुये वापिस धर्मशाला पहुंच गये। वहां से बसों में बैठकर घंटाकरण महावीर स्वामी जी की प्रतिमा के दर्शन वंदन के लिए पहुंचे। वहां का प्रसाद वहीं पर खत्म करने की प्रथा है। वहां दर्शन वन्दन करने के पश्चात् मेहसाणा तीर्थ के लिए रवाना हुये। वहां नियत समय पर पहुँच कर दर्शन वन्दन पूजा आदि का लाभ प्राप्त किया और बसों में बैठकर रेलवे स्टेशन के लिये रवाना हये। 26 मार्च को सारा दिन ट्रेन का सफर तय कर तथा रात्रि 1 बजे लुधियाना रेलवे स्टेशन पर ट्रेन पहुंच गई। रेल्वे स्टेशन पर पहुंचने पर संघपति जी ने सभी यात्रियों, गुरुभक्तों से क्षमा याचना की, उनकी तरफ से दी हुई सुख सुविधा हमेशा स्मरणीय रहेगी। इस प्रकार हम सभी अपने-अपने घर को रवाना
हुये।
भायखला मुम्बई में पंजाब केसरी जैनाचार्य श्रीमद् विजय वल्लभ सूरीश्वर जी म.सा. का समाधि मंदिर एवं गुरु प्रतिमा,
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विजय वल्लभ संस्मरण-संकलन स्मारिका
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