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મહારાજા ખારવેલસિરિક શિલાલેખકી ૧૪ વી પંક્તિ
यहाँ पर प्रश्न हो सकता है कि-खारवेल-शिला-लेखकी १५वीं पंक्तिमें "अरहतनिसीदीयासमीपे "का “ अर्हतकी निषीदी (स्तूप)के पास" ऐसा अर्थ किया गया है—अर्थात् 'निसीदिया' शब्दका अर्थ 'स्तूप' किया है और १४ वीं पंक्तिमें इसी शब्दका भिन्न अर्थ क्यों किया जाता है ? इसका समाधान यह है कि-श्वेताम्बर जैनसम्प्रदायके ग्रन्थोंमें 'निसीहिया' या 'निसेहिया' शब्द बहुत जगहों पर भिन्न भिन्न अर्थमें प्रयोजित किया गया है
णिसीहिया स्त्री० [निशीथिका ] १ स्वाध्याय-भूमि, अध्ययनस्थान, (आचारांग २-२-२)। २ थोड़े समयके लिये उपात्तस्थान, (भगवती १४-१०)। आचारांगसूत्रका एक अध्ययन (आचा० २-२-२)।
णीसीहिया स्त्री० [नषेधिकी] १ स्वाध्यायभूमि, (समवायांग पत्र ४०)। २ पापक्रियाका त्याग, (प्रतिक्रमणसूत्र)। ३ व्यापारांतरके निषेधरूप सामाचारी आचार, (ठाणांगसूत्र १० पत्र ४९९)। ४ मुक्ति-मोक्ष । ५ श्मशानभूमि, तीर्थंकर या मुनिके निर्वाणका स्थान, स्तूप, समाधि, (वसुदेवहिण्डि पत्र २६४-३०९)। ६ बैठनेका स्थान । ७ नितम्बद्वारके समीपका भाग (राज प्रश्नीय सूत्र )। ८ शरीर, ९ वसति-साधुओंके रहनेका स्थान, १० स्थण्डिल-निर्जीब भूमि, (आवश्यक चूर्णी) ।*
-पाइअसहमहण्णवो पत्र ५१२-१३ ॥ अंतमें इस लेखको समाप्त करते हुए मुझे कहना चाहिए कि-प्रस्तुत लेखका कलेवर केवल शास्त्रीय पाठोंसे ही बढ गया है, किन्तु शिलालेखके अंशकी तुलना और इसके अर्थको स्पष्ट करनेके लिये यह अनिवार्य है।
[अनेकांत,' माघ वि. सं. १९८६ ]
* इन अर्थों में कुछ नये अर्थ भी शामिल किये गये हैं।
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