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पं० चैनसुखदास दर्शन के अच्छे विद्वान् थे । स्पष्ट वक्ता होने के साथ-साथ ये संस्कृत भ अच्छे ज्ञाता थे । बनारस से शिक्षा प्राप्त कर जयपुर में बसे थे। उपा० कवीन्द्र सागर जी की अनेक हिन्दी रचनाएँ प्रसिद्ध हैं । वे अच्छे कवि थे ।
मुनि विनयसागर फलौदी में झाबक परिवार में पैदा हुए। बचपन में दीक्षा ले ली । वैचारिक क्रांति के कारण १९५६ में साधुपन छोड़ दिया और गृहस्थ हो गये । आप संस्कृत - प्राकृत के अच्छे विद्वान् हैं । आपने प्राचीन इतिहास व शिलालेखों पर अच्छा कार्य किया है । आपने कई ग्रंथ सम्पादित किये हैं । इनमें नेमिदूत, संघपति रूपजी वंश प्रशस्ति, खरतरगच्छ का इतिहास, बल्लभ भारती, आचार्य जिनप्रभ और उनका साहित्य उल्लेखनीय हैं ।
आचार्य तुलसी ने तेरापंथ में शिक्षा प्रचार पर अधिक जोर दिया । ये स्वयं अच्छे कवि और लेखक हैं । इनके प्रयास से आज तेरापंथ सम्प्रदाय में कई उत्कृष्ट लेखक और दर्शन के ज्ञाता हैं । स्थानकवासी सम्प्रदाय में कई अच्छे व्याख्याता और विद्वान् हुए हैं। इनमें जैन दिवाकर चौथमल को बड़ा राज्यमान मिला था । इन्होंने जहाँ भी विहार किया जीव दया के लिए महत्त्वपूर्ण कार्य किया ।
शोध के क्षेत्र में इस समय कई विद्वान् बड़ा कार्य कर रहे हैं । दिगम्बर श्वेताम्बर आचार्यों, और उनकी कृतियों एवं दर्शन के कई पक्षों पर विद्वानों ने पीएच० डी० एवं डी० लिट० ली है । इस विषय में जो कार्य हो रहा हैं वह उल्लेखनीय है, किन्तु विद्वानों में यह देखा जाता हैं कि कार्य करने की लगन केवल शोध तक ही सीमित रहती है ।
कई जैन संस्थाएँ भी इस समय अच्छा कार्य कर रही हैं । पत्रकारिता के क्षेत्र में भी हिन्दी में कई जैन पत्र-पत्रिकाएँ प्रकाशित हो रही हैं । कुछ पत्रिकाएँ अच्छे महत्व की भी हैं । इनमें श्रमण, तीर्थंङ्कर, अनेकान्त आदि उल्लेखनीय हैं । इन्होंने कई विद्वानों को हिन्दी में लिखने को प्रेरित किया है | हिन्दी पत्रकारिता में श्री अक्षयकुमार जैन सदैव याद किये जाते रहेंगे ।
हिन्दी के विकास में प्रारम्भ से ही जैन विद्वानों का बड़ा योगदान रहा है। जैन विद्वानों की गद्य एवं पद्य लिखने की बड़ी लम्बी परम्परा रही है । २०वीं शताब्दी में हिन्दी में विपुल साहित्य निकला है, जिनकी विस्तृत सूची देना कठिन है । आज जैन विद्वान् न केवल साहित्य, संगीत, दर्शन एवं कला विषयों पर लिख रहे हैं अपितु विज्ञान-गणित आदि विषयों पर भी अच्छा साहित्य तैयार कर लिया है ।
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