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विजय कुमार
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जैनदर्शन में गुरु की महत्ता को जाति, कुल या वर्ण से नहीं आँका गया है बल्कि उसकी महत्ता गुणों के आधार पर निर्धारित की गयी है, उदाहरणार्थं उत्तराध्ययनसूत्र में चाण्डाल को भी शिक्षा पाकर महर्षि बनना बताया गया है ।"
१. सोवागकुलसंभूओ, गुणत्तरधरो मुणी ।
हरिएसबलो नाम, आसि भिक्खू जिइन्दिओ || -उत्तराध्ययन १२ / १
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शोधछात्र दर्शन विभाग काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी
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