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सरोवर जीक पुनीत नामपर
[ लेखक:- न्यायतीर्थ विद्याभूषण, पं. ईश्वरलाल जैन विशारद, हिन्दीग्न ]
क्रान्तिकारी गुरुदेव प्रातः स्मरणीय न्यायाम्भोनिधि जैनाचार्य श्री श्री १००८ श्रीमद्विजयानन्दसूरीश्वर अपर नाम श्री आत्मारामजी महाराजने इस बीसवीं शताब्दि में जैन समाज के अन्दर नव-: जीवन संचार कर जो जागृति
नहीं सकता। उनके
उत्पन्न की है, उसे जैन समाज का कोई सहृदय व्यक्ति भूल किये गये कार्यों और भावनाओं से यह भलीभांति प्रतीत होता है कि वे द्रव्यक्षेत्र - काल और भाव को जाननेवाले दूरदर्शी महात्मा थे । इस में संदेह नहीं, यदि गुरुदेव ने धर्मोद्धार का कार्य हाथ में न लिया होता तो आज पंजाब जैसे देश में जैनधर्म की विजयध्वनी सुनाई न देती और नहीं इस देश में पचासों गगन
चुम्बी मन्दिरों को देखने का
सौभाग्य होता । यद्यपि गुरुदेव ने पंजाब, मारवाड़, मेवाड़, गुजरात, काठियावाड़
'शताब्दि ग्रंथ ]
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