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________________ श्री. पृथ्वीराज जैन । दोनों की आयु में कोइ विशेष अन्तर न था। दोनों महात्मा लगभग ६० वर्ष की आयु पर्यन्त समाजसेवा कर सके। स्वामी दयानन्द का समय १८८१-१९४० वि० है तथा विजयानन्दसूरि का १८९३-१९५३ वि० है । दोनों महात्माओं के चारित्र में एक अन्तर दिखाई देता है । वह यह कि दयानन्द ने अन्य मतखण्डन में सीमा का कुछ उल्लंघन कर दिया है। किसी भी वस्तु को इस लिये मिथ्या बताना कि वह हमें इष्ट नहीं, अनुचित है । प्रत्येक धर्म में सत्यता का अंश है। सामाजिक नियम यह चाहता है कि अपना मण्डन उसी सीमा तक योग्य है जहां तक दूसरे का अनुचित खण्डन न हो । आत्मारामजी ने ऐसा ही किया है। एक बात और है । दयानन्द की अनुयायी आर्यसमाज ने अपने नेता के उद्देश्य का प्रचार बड़े उत्साह से किया है। आर्यसमाज ने हिन्दु धर्म की सचमुच रक्षा की है और भारतीय सभ्यता को नाश से बचाया है । जगह २ पर आर्यसमाज के प्रचार के लिये संस्थायें हैं । परन्तु जैनसमाज ने अपने नेता के कार्य को इतने उत्साह से सम्पन्न नहीं किया जितना कि आवश्यक था । तब भी दोनों महात्माओं का उनके अनुयायी मान करते हैं । आर्यसमाज की संस्थायें यदि · डी० ए० वी ' के नाम स्थापित हुई हैं तो जैन समाज की · श्री आत्मानन्द जैन ' के नाम से । __ सारांश यह है कि ये दोनों अपने समय के महारथी थे। हम नहीं कह सकते कि यदि उस समय भारत में ऐसे महापुरुष जन्म न लेते तो आज हिन्दु सभ्यता तथा संस्कृति की कैसी दुर्दशा होती । हमारे लिये यह जानना असम्भव हो जाता कि किसी समय भारत विश्व का अध्यात्म विद्या में गुरु रहा है। मुनि आत्मारामजी तथा महर्षि दयानंद का हि प्रभाव था कि चिकागो की सर्वधर्म परिषद् में भारतीय विचारों का बोलबाला रहा । यहां पर हमें एक बात पर विशेष विचार करना चाहिये । वह यह कि इन दोनों की महत्ता का कारण परस्पर विरोधी धार्मिक विचारधारायें हैं । दयानन्द मूर्तिपूजा का खण्डन करने से दयानन्द बने और विजयानन्दसूरि का नाम मूर्तिपूजा का मण्डन करने से प्रसिद्ध हुआ । इस से क्या परिणाम निकलता है, इस पर पाठकों को स्वयं विचार करना चाहिये। सताब्दि ग्रंथ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012050
Book TitleAtmanandji Jainacharya Janmashatabdi Smarakgranth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Dalichand Desai
PublisherAtmanand Janma Shatabdi Smarak Trust
Publication Year1936
Total Pages1042
LanguageHindi, Gujarati, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size30 MB
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