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पूज्यवर श्री १०५ गणेश वर्णी जी रुग्णावस्था में भी अत्यन्त शान्त और अडिग थे । उनकी समाधिचर्या में रत श्री बाबू छोटेलाल सरावगी के साथ कैलाशचन्द्र जी शास्त्री
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पार्श्वनाथ वर्णी शान्तिनिकेतन, ईसरी में अपने गुरु पं० वंशीधर जी आदि के साथ पूज्य श्री १०५ वर्णीजी के प्रवचन में
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