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वृत्तक्षेत्र-व्यासो दशपदगुणितो भवेत् परिक्षेपः । व्यासचतुर्भागगुणः परिधिः फलमर्धमर्चेतत् ।। (ग० सा० सं०, ७६०)
व्यासx/१०४ व्यास परिधि x व्यास = वृत्तका क्षेत्रफल = - व्यास = २ व्यासार्ध = 2r; वृत्त का क्षेत्रफल = ruri आर्यभट प्रथमने वृत्तकी परिधि और उसके व्यासका सम्बन्ध निम्न संख्यासे व्यक्त किया है :
- -Tra
पाराष
व्यास
= ६२६३२ = ३.१४१६ (आर्यभट)
२०००० १६ ४ ३९२७ = ३.१४१६ (भास्कर) १६४१२५०
आयतवृत्त ( ellipse ) अर्थात् दीर्घवृत्तके व्यास और परिधि-आयतवृत्तको आज हम दीर्घवृत्त कहते हैं । इसके दो व्यास होते हैं । एक तो बड़ा और दूसरा छोटा । आयतवत्तकी परिधि और क्षेत्रफलके सम्बन्धमें महावीरका नियम निम्न है :
घ
चित्र ३. आयतवृत्त
आयाम = कख = a, व्यास या विष्कम्भ = गघ = b व्यासकृतिष्षड्गुणिता द्विषड्गुणायामकृतियुता (परं) परिधिः ।
व्यासचतुर्भागगुणाश्चायतवृत्तस्य सूक्ष्मफलम् ॥ (ग० सा० सं०, ७।६३) छोटे व्यास (विष्कम्भ) के वर्गको ६ से गुणा करो और लम्बे व्यास (आयाम) के दुगुनेका वर्ग लेकर इसमें जोड़ो। इस वर्गका जो वर्गमूल होगा, वह परिधिकी लम्बाई होगी। परिधिको छोटे व्यासके चतुर्थांशसे गुणा करें, तो आयतवृत्तका क्षेत्रफल निकल जावेगा। इसी बातको हम बीजीय समीकरणमें निम्न प्रकार व्यक्त कर सकते हैं:
परिधि:/6b4ad जहाँ b = आयतवृत्तका छोटा व्यास; a = आयातवृत्त का बड़ा व्यास (आयाम) आयतवृत्तका क्षेत्रफल = परिधि x b/4
= b/4/6b* +4 (यह स्मरण रखना चाहिये कि मूल श्लोकमें यह नहीं लिखा कि परिधि निकालनेके लिए 6b+4a'का वर्गमूल निकालना है)।
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