SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 447
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ एक पूर्वांगका मान ८४ लाख वर्ष है तथा अन्य इकाई अपने पूर्ववालीसे ८४ लाख गुनी बड़ी है। सबसे बड़ी इकाई शीर्ष प्रहेलिका है जिसका मान (८४०००००) २८ वर्ष है। यह ध्यान देने योग्य है कि (८४०००००) २८ को विस्तार करने पर १९४ अंककी संख्या प्राप्त होती है। ज्योतिषकरण्डकमें भी ऐसी एक सूची मिलती है परन्तु वह उपर्युक्त सूचीसे भिन्न है। यह सूची निम्न प्रकार है। पूर्व, लतांग, लता, महालतांग, महालता, नलिनांग, नलिन, महानलिनांग, महानलिन, पद्यांग, पद्य, महापद्यांग, महापद्य, कमलांग, कमल, महाकमलांग, महाकमल, कुदुमांग, कुदुम, महाकुदुमांग, महाकुमुद, त्रुटितांग, त्रुटित, महात्रुटितांग, महात्रुटित, अददांग, अद्द, महाददांग, महादद, हूह्वांग, हूहू, महाहूहांग, महाहूहू, शीर्षप्रहेलिकांग और शीर्षप्रहेलिका। इसमें भी प्रत्येक इकाई अपनी पिछली इकाईसे ८४००००० गुनी बड़ी है। यहाँ पर शीर्षप्रहेलिका मान (८४०००००) ३६ वर्ष है । इसका विस्तार करने पर २५० अंकोंकी संख्या प्राप्त होती है।। अंकोंकी लिखावट-ईस से चौथी शताब्दी पूर्व और पहलेके जैन आगमोंमें अठारह लिपियोंकी सूची दी हुई है । इन लिपियोंमें अंकलिपि और गणितलिपि भी सम्मिलित है। डा० विभूतिभूषण दत्तका विचार है कि ये लिपियाँ इस बातकी सूचना देती हैं कि विभिन्न कार्योंके लिये अंकोंकी लिखावट विभिन्न प्रकारकी होती थी। उनका विचार है कि अंकलिपि स्तंभों पर खुदाईमें तथा गणितलिपि गणितीय क्रियाओंमें प्रयोगकी जाती थी। पं० हीराचन्द्र गौरीशंकर ओझाने लिखा है कि जैन हस्तलिपियोंमें ब्राह्मीके अंकोंका प्रयाग हुआ है। जैन हस्तलिपियों में ब्राह्मी के अंके जैन अंको के आदिम आकार .. भ Satus, fasha . A wise y co my 666749 FAtER 143 * Amr.00 - १. ज्योतिषकरण्डक, (६४-७१) । २. समवायांगसूत्र (लगभग ३०० ई० पू०), सूत्र १८, श्यामाचार्य द्वारा रचित; प्रज्ञापनासूत्र, सूत्र १८; आवश्यकनियुक्ति, मलमाधारिन हेमचन्द्रकी विशेषावश्यकभाष्यकी टीका (४६४) । -४०४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012048
Book TitleKailashchandra Shastri Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBabulal Jain
PublisherKailashchandra Shastri Abhinandan Granth Prakashan Samiti Rewa MP
Publication Year1980
Total Pages630
LanguageHindi, English, Sanskrit
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy